"ब्राह्मण" वही है..जो "ब्रह्म" को तत्वतः जनता है..
जो "ब्रह्म" की तत्वतः-अनुभूति प्राप्त कर लेता है..वह अपने "प्रभामंडल" में स्थित हो जाता है..!
वह मानव से "महामानव "हो जाता है..!
जिसने ब्रह्म की अनुभूति नहीं प्राप्त किया..उसने अपने इस मानव-जीवन को व्यर्थ किया..!
धन्य है..वह जीवन..वह कुल..वह माता-पिता वह गुरुश्रेष्ठ ..जिसकी अविरल कृपा से " तथागत "की यह स्थिति प्राप्त होती है..!
जो "ब्रह्म" की तत्वतः-अनुभूति प्राप्त कर लेता है..वह अपने "प्रभामंडल" में स्थित हो जाता है..!
वह मानव से "महामानव "हो जाता है..!
जिसने ब्रह्म की अनुभूति नहीं प्राप्त किया..उसने अपने इस मानव-जीवन को व्यर्थ किया..!
धन्य है..वह जीवन..वह कुल..वह माता-पिता वह गुरुश्रेष्ठ ..जिसकी अविरल कृपा से " तथागत "की यह स्थिति प्राप्त होती है..!
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