¤कालनेमि कलि कपट निधानू , नाम सुमरति समरथ हनुमानू । उघरहि अंत न होय निबाहू , कालनेमि जिमि रावन राहू । ।
¤राम नाम नर केशरी , कनककसिपु कलिकाल ।
जापक जन प्रहलाद जिमि , पालहि दलि सुरसाल । ।
%रामचरितमानस%
-भावार्थ :-कलयुग मे कपट के निधान कालनेमि,रावण और राहु की भाँति कपट का साधु भेष बनाकर ठगने वाले बहुत से साधु होँगे; परन्तु नाम रूपी हनुमान के द्वारा उनकी पोल खुल जाने पर उनका निबाह नहीँ होगा । नाम को ऐसा समझो जैसा नरसिँह और कलयुग को हिरण्यकशिपु; जिस प्रकार नरसिँह के प्रकट हो जाने पर हिरण्यकशिपु का नाश हो गया, उसी प्रकार नाम के प्रकट हो जाने पर कलयुग का अन्त होगा । जब साधक जन प्रहलाद जैसे होँगे,दुष्टो का अनत हो जायेगा और संतजनो की पालना होगी ।
परम प्रभु परमपिता हंस से स्वायंभुव मनु ब्रम्हा ने इसी भयंकर समय के लिए वरदान माँगा था और प्रभु ने उनसे कहा कि मै स्वयं कलयुग मे अपने शक्तियो के साथ नाम रूप से प्रकट होकर कलयुग को नाश करने के लिए नाम रूपी बीज को उगाऊंगा ।
¤राम नाम नर केशरी , कनककसिपु कलिकाल ।
जापक जन प्रहलाद जिमि , पालहि दलि सुरसाल । ।
%रामचरितमानस%
-भावार्थ :-कलयुग मे कपट के निधान कालनेमि,रावण और राहु की भाँति कपट का साधु भेष बनाकर ठगने वाले बहुत से साधु होँगे; परन्तु नाम रूपी हनुमान के द्वारा उनकी पोल खुल जाने पर उनका निबाह नहीँ होगा । नाम को ऐसा समझो जैसा नरसिँह और कलयुग को हिरण्यकशिपु; जिस प्रकार नरसिँह के प्रकट हो जाने पर हिरण्यकशिपु का नाश हो गया, उसी प्रकार नाम के प्रकट हो जाने पर कलयुग का अन्त होगा । जब साधक जन प्रहलाद जैसे होँगे,दुष्टो का अनत हो जायेगा और संतजनो की पालना होगी ।
परम प्रभु परमपिता हंस से स्वायंभुव मनु ब्रम्हा ने इसी भयंकर समय के लिए वरदान माँगा था और प्रभु ने उनसे कहा कि मै स्वयं कलयुग मे अपने शक्तियो के साथ नाम रूप से प्रकट होकर कलयुग को नाश करने के लिए नाम रूपी बीज को उगाऊंगा ।
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