"संतोष" से बड़ा कोई धन नहीं है..!
"आत्म-विश्वास " से बड़ी कोई पूंजी नहीं है..!
"दृढ-निश्चय" से बड़ा कोई बल नहीं है..!
"दूर-दृष्टि" से बड़ा कोई विवेक नहीं है..!
"समर्पण" से बड़ा कोई सुख नहीं है..!
"क्षमा" से बड़ी कोई शीलता नहीं है..!
"करुना" से बड़ा कोई त्याग नहीं है..!
"दयालुता" से बड़ा कोई प्रेम नहीं है..!
"सत्संग" से बड़ी कोई पूजा नहीं है..!
"गुरु-सेवा" से बड़ा कोई सत्कर्म नहीं है..!
"अनन्य-भक्ति" से बड़ा कोई समर्पण नहीं है..!
"सत्य" से नाडा कोई ताप नहीं है..!
"असत्य" से बड़ा कोई पाप नहीं है..!
:परोपकार" से बड़ा कोई धर्म नहीं है..!
"पर-पीड़ा" से बड़ा कोई अधर्म नहीं है..!
"आसक्ति" से बड़ा कोई बंधन नहीं है..!
"सदगति" से बड़ा कोई ध्येय नहीं है..!
"तद्रूपता" से बड़ी कोई मुक्ति नहीं है..!
"अहंकार" से बड़ा कोई शत्रु नहीं है..!
"क्रोध" से बड़ा कोई अज्ञान नहीं है..!
"छिद्रान्वेषण" से बड़ा कोई दुर्गुण नहीं है..!
"विद्या" से बड़ा कोई गुण नहीं है..!
"सात्विकता" से बड़ा कोई मार्ग नहीं है..!
"ध्यान" से बड़ी कोई उपासना नहीं है..!
"अजपा-जप" से बड़ा कोई याग्न नहीं है..!
"पर-निंदा" से बड़ी कोई बुराई नहीं है..!
"समाधि" से बड़ा कोई पुरुषार्थ नहीं है.....!!!
******जिंदगी की डगर पर ढेर सारे गुण-दोष मिलते है...! गुण यही है..कि इन सबके प्रति निरपेक्ष भव रखते हुए अपना रास्ता तय करते चले...!
"आत्म-विश्वास " से बड़ी कोई पूंजी नहीं है..!
"दृढ-निश्चय" से बड़ा कोई बल नहीं है..!
"दूर-दृष्टि" से बड़ा कोई विवेक नहीं है..!
"समर्पण" से बड़ा कोई सुख नहीं है..!
"क्षमा" से बड़ी कोई शीलता नहीं है..!
"करुना" से बड़ा कोई त्याग नहीं है..!
"दयालुता" से बड़ा कोई प्रेम नहीं है..!
"सत्संग" से बड़ी कोई पूजा नहीं है..!
"गुरु-सेवा" से बड़ा कोई सत्कर्म नहीं है..!
"अनन्य-भक्ति" से बड़ा कोई समर्पण नहीं है..!
"सत्य" से नाडा कोई ताप नहीं है..!
"असत्य" से बड़ा कोई पाप नहीं है..!
:परोपकार" से बड़ा कोई धर्म नहीं है..!
"पर-पीड़ा" से बड़ा कोई अधर्म नहीं है..!
"आसक्ति" से बड़ा कोई बंधन नहीं है..!
"सदगति" से बड़ा कोई ध्येय नहीं है..!
"तद्रूपता" से बड़ी कोई मुक्ति नहीं है..!
"अहंकार" से बड़ा कोई शत्रु नहीं है..!
"क्रोध" से बड़ा कोई अज्ञान नहीं है..!
"छिद्रान्वेषण" से बड़ा कोई दुर्गुण नहीं है..!
"विद्या" से बड़ा कोई गुण नहीं है..!
"सात्विकता" से बड़ा कोई मार्ग नहीं है..!
"ध्यान" से बड़ी कोई उपासना नहीं है..!
"अजपा-जप" से बड़ा कोई याग्न नहीं है..!
"पर-निंदा" से बड़ी कोई बुराई नहीं है..!
"समाधि" से बड़ा कोई पुरुषार्थ नहीं है.....!!!
******जिंदगी की डगर पर ढेर सारे गुण-दोष मिलते है...! गुण यही है..कि इन सबके प्रति निरपेक्ष भव रखते हुए अपना रास्ता तय करते चले...!
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