जैसे इन्टरनेट पर हर ईमेल आई डी या इ-एकाउंट के साथ पास्वोर्ड लगा रहता है..ताकि एकाउंट लोक रखा जा सके और सुरक्षित खोला-बंद किया जा सके..वैसे ही...इस मानव-पिंड में सर और धड का संधिस्थाल एक तरह से ताले(लाक) में बंद है..जिसको खोलने के लिए एक दिव्य-शब्द-एकाक्षर (पास्वोर्ड) है..जिसका ज्ञान समय के तत्वदर्शी-महान पुरुष (सद्गुरु) से होता है..जो इस घट के ताले को खोल कर उजियाला कर देते है..!
परमात्मा ह्रदय-रूपी गुफा में कैद है..जिसके नजदीक पहुँचाने के लिए इस घट के बंद पड़े ताले का खुलना बहुत जरुरी है..!
जैसे ही सद्गुरु की कृपा से यह ताला खुलता है..सन कुछ एकाकार हो जाता है..!
जब तक यह टाला नहीं खुलता..तब तक सर और धड..यद्यपि देखने में जुड़े हुए लगते है..लेकिन बिलकुल कटी पतंग की तरह है..!!
इसलिए हर मानव को इस सत्य-नाम को समय के तत्वदर्शी गुरु से जानकर अपना कल्याण करना चाहिए..!
..ॐ श्री सद्गुरु चरण कमलेभ्यो नमः....!!
परमात्मा ह्रदय-रूपी गुफा में कैद है..जिसके नजदीक पहुँचाने के लिए इस घट के बंद पड़े ताले का खुलना बहुत जरुरी है..!
जैसे ही सद्गुरु की कृपा से यह ताला खुलता है..सन कुछ एकाकार हो जाता है..!
जब तक यह टाला नहीं खुलता..तब तक सर और धड..यद्यपि देखने में जुड़े हुए लगते है..लेकिन बिलकुल कटी पतंग की तरह है..!!
इसलिए हर मानव को इस सत्य-नाम को समय के तत्वदर्शी गुरु से जानकर अपना कल्याण करना चाहिए..!
..ॐ श्री सद्गुरु चरण कमलेभ्यो नमः....!!
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