ॐ श्री रामचन्द्राय नमः...!
**आपदाहर्तारम दाताराम सर्व सम्पदाम..लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो-भूयो नमाम्यहम....!
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय मनसे..रघुनाथाय नाथाय सितायापताये नमः.......!!
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नौमी तिथि मधुमास पुनीता..सुकल पच्छ अब्गिजित हरि प्रीता..!
मध्य दिवस अति सीत न घामा..पावन काल लोक विश्रामा..!
सीतल मंद सुरभि बह बाहू..हरासित सुर संतन मन चाऊ..!
वन कुसुमित गिरिगन मनिआरा..स्रवाही सकल सरितामृत धारा..!
सो अवसर विरंची जब जाना..चले सकल सुर साजि विमाना..!
गगन विमक संकुल सुर जूथा..गावहि गुन गन्धर्व वरुथा..!१
वरसाही ुमन सुअंजुली स्स्जी..गहगहि गगन दुन्दुभी वाजी..!
अस्तुति करहि नाग मुनि देवा..वाहू विधि लावहि निज-निज सेवा...!
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भये प्रकट कृपाला दीन दयाला कौसल्या हितकारी..हर्सित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप विचारी..!
लोचन अभिरामा तनु घन श्यामा निज आयुध भुज चारी.भूषण वनमाला नयन विसाला शोभासिंधू खरारी..!
कह दुई कर जोरी अस्तुति तोरी केहि विधि करो अनंता..मायागुन ग्यानातीत अमाना वेद पुराण भनंता..!
करुना सुखसागर सब गुन अगर जेहि गावहि श्रुति संता..सो मम हित्लागी जन अनुरागी भयहु प्रकट श्रीकंता..!
ब्रह्माण्ड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति वेद कहे..मम उर सो वासी यह उपहासी सुनत धीर मती थिर न रहे..!
उपजा जब ज्ञान प्रभु मुसुकाना चरित बाहु विधि कीन्ह चहे..कही कथा सुहाही मातु बुझाई..जेहि भाति सुत प्रेम लहे..!
माता पुनि बोली सो मती डोली तजहु तात यह रूपा..कीजे सिसु लीला अति प्रिय सीला यह सुख परम अनूपा..!
सुनि वचन सुजाना रोदन थाना होइ बालक सुरभूपा.यह चरित जे गावहि हरिपद पावही ते न परहि
भवकूपा..!
****विप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार..!
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार..!!****
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः......!!!
**आपदाहर्तारम दाताराम सर्व सम्पदाम..लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो-भूयो नमाम्यहम....!
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय मनसे..रघुनाथाय नाथाय सितायापताये नमः.......!!
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नौमी तिथि मधुमास पुनीता..सुकल पच्छ अब्गिजित हरि प्रीता..!
मध्य दिवस अति सीत न घामा..पावन काल लोक विश्रामा..!
सीतल मंद सुरभि बह बाहू..हरासित सुर संतन मन चाऊ..!
वन कुसुमित गिरिगन मनिआरा..स्रवाही सकल सरितामृत धारा..!
सो अवसर विरंची जब जाना..चले सकल सुर साजि विमाना..!
गगन विमक संकुल सुर जूथा..गावहि गुन गन्धर्व वरुथा..!१
वरसाही ुमन सुअंजुली स्स्जी..गहगहि गगन दुन्दुभी वाजी..!
अस्तुति करहि नाग मुनि देवा..वाहू विधि लावहि निज-निज सेवा...!
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भये प्रकट कृपाला दीन दयाला कौसल्या हितकारी..हर्सित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप विचारी..!
लोचन अभिरामा तनु घन श्यामा निज आयुध भुज चारी.भूषण वनमाला नयन विसाला शोभासिंधू खरारी..!
कह दुई कर जोरी अस्तुति तोरी केहि विधि करो अनंता..मायागुन ग्यानातीत अमाना वेद पुराण भनंता..!
करुना सुखसागर सब गुन अगर जेहि गावहि श्रुति संता..सो मम हित्लागी जन अनुरागी भयहु प्रकट श्रीकंता..!
ब्रह्माण्ड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति वेद कहे..मम उर सो वासी यह उपहासी सुनत धीर मती थिर न रहे..!
उपजा जब ज्ञान प्रभु मुसुकाना चरित बाहु विधि कीन्ह चहे..कही कथा सुहाही मातु बुझाई..जेहि भाति सुत प्रेम लहे..!
माता पुनि बोली सो मती डोली तजहु तात यह रूपा..कीजे सिसु लीला अति प्रिय सीला यह सुख परम अनूपा..!
सुनि वचन सुजाना रोदन थाना होइ बालक सुरभूपा.यह चरित जे गावहि हरिपद पावही ते न परहि
भवकूपा..!
****विप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार..!
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार..!!****
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः......!!!
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