युग-परिवर्तन के लिए हमें धरती नहीं बदलनी..आसमान नहीं बदलना..नदिया नहीं बदलनी..पहाड़ नहीं बदलने..वृक्ष नहीं बदलने.....बल्कि हमें मानव के मन को.. मानव के विचारों को..मानव के ह्रदय को..और ..अपने-आप को बदलना है..!
युग-परिवर्तन का केंद्र-विन्दु यह मानव और उसका मन है..!
मानव -मन को बदलने के लिए हमें अपनी बिखरी हुयी शक्तिओ को समेट कर अंतर्मुखी करना होगा.!
यह अध्यात्म के माध्यम से ही संभव है..!
इसलिए अपने-आप को जानने के लिए हमें समय के तत्वदर्शी महान पुरुष की खोज करनी होगी..!
जब तत्वदर्शी गुरु का सानिध्य प्राप्त होगा..तभी आत्म-ज्ञान प्राप्त हो सकता है..!
..और यहि अत्म-ज्ञान एक ऐसा साधन है..जो मानव को महामानव के रूप में परिवर्तित कर देता है..!
मानव व्यष्टि से समष्टि की ओर उन्मुख हो जाता है..!
..इसलिए समय की पुकार है..आईये..अपने आप को जानकर अपने को..समाज को..देश को और दुनिया को खुश हाल बनाने का संकल्प ले..!
एक राष्ट्र..एक ध्वज..एक आत्मा..!!!
युग-परिवर्तन का केंद्र-विन्दु यह मानव और उसका मन है..!
मानव -मन को बदलने के लिए हमें अपनी बिखरी हुयी शक्तिओ को समेट कर अंतर्मुखी करना होगा.!
यह अध्यात्म के माध्यम से ही संभव है..!
इसलिए अपने-आप को जानने के लिए हमें समय के तत्वदर्शी महान पुरुष की खोज करनी होगी..!
जब तत्वदर्शी गुरु का सानिध्य प्राप्त होगा..तभी आत्म-ज्ञान प्राप्त हो सकता है..!
..और यहि अत्म-ज्ञान एक ऐसा साधन है..जो मानव को महामानव के रूप में परिवर्तित कर देता है..!
मानव व्यष्टि से समष्टि की ओर उन्मुख हो जाता है..!
..इसलिए समय की पुकार है..आईये..अपने आप को जानकर अपने को..समाज को..देश को और दुनिया को खुश हाल बनाने का संकल्प ले..!
एक राष्ट्र..एक ध्वज..एक आत्मा..!!!
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