MANAV DHARM

MANAV  DHARM

Friday, December 31, 2010

HAPPY NEW YEAR...!!

नव--वर्ष  की  बधाई....!!
मेरे  मित्र  मुबारक  हो..!  सन  २०११  नव--वर्ष..!
खुशिया  भर  जाए  जीवन  में  जीवन  भर  हो  तेरा  उत्कर्ष..!!
नव--प्रभात  दे  जाए  तुम्हे..नवल--ज्ञान--नव--कीर्ति--पुष्प..!!
नव--रवि--शशि -  की  आलोक  मित्र  ..कर  दे  जीवन  को  अनूप..!!Comments for OrkutComments for Orkut

Wednesday, December 29, 2010

Satsang--Ganga..!!

"अध्यात्म"  एक  ऐसा  विषय  है..जो  अपने--आपको  जानने..अपने  भीतर  झाकने  और  अपने  में  ही  समा  जाने  की  क्रिया--विधि  और  प्रेरणा  देता है..!!!
यह  ऐसा  विषय  है  जो  हर  मानव  के व्यक्तित्व..पारिवारिक--सम्माजिक--नैतिक..शैक्षणिक..चारित्रिक.. शील--संस्कार  और  वैयक्तिक..वैचारिक  राष्ट्रीय  पृष्टभूमि   से  जुदा  हुआ  है..!
मानव--जीवन  का  मुख्या  ध्येय  सुख--संपदा  और  शांति--संतुष्टि  अर्जित  करना  तो  सामान्यतः  होता  है..किन्तु  इन  सभी  चीज  को सही  तरीके  से   अर्जित  और  प्राप्त  करने  ककी  दिशा  में  जम  जो  प्रयास  करते  है..उसमे  अध्यात्म  ज्ञान..और  आत्मा--तत्त्व--वोध  एक  प्रेरक..उत्प्रेरक  जैसा  कार्य  करता  है..!
मानव  मन  सामान्यतः..बुरयियो  की  और  अपनी  प्रकृत-वश  भागता  है..क्योकि  यह  मन  ही  सभी  इन्द्रियों  का  राजा  है..१
हम  जैसे  परिवेश--संस्कार  में  पलते--बढ़ाते--पढ़ते--करते  है..वैसा  ही यह  मन  अपना  धरातल  प्राप्त  कर  लेता  है..!
स्वर्ग--नरक--मोक्ष  की  कल्पना  हम  करते  है..लेकिन  हम  यथार्थतः  इसको  समझ  नहि  पाते..!
यह  मन  ही  राम [svarga]..रावण [narak]  और  ब्रह्मा  [moksha]  है..!
यदि  हम  अच्छाई  से  चलते  है  तो  राम  है..बुराई  से  चलते  है  तो  रावण  है  और  यदि  प्रभु  का  चितन--ध्यान--भजन  करते  है  तो  ब्रह्मा  के  साद्रश्य  हो  जाते  है..!
स्कूल  में  हम  सब  कुछ  पढ़  लेते  है  और  उपाध्या  भी  प्राप्त  कर  लेते  है..लेकिन  इससे  क्या..??
पढ़ाई  करना  और  पढ़ा--लिखा  होना..अलग--अलग  स्थितिया  है..!
एक  साक्षर  जो  कुछ  जानता  है..वह  एक  उच्च--शिक्षित  शायद   नहि  जनता  हगा..??
इसलिए  संतो  की  वाणी  अटपटी--सी  होती  है..संत--लोग  बहुत  अधिक  पढ़े  लिखे  नहि  होते..लेकिन  उनकी  तपश्चर्या  इतनी  प्रखर  होती  है  की  वह  अंतर्दृष्टि  से  सब  कुछ  जान  लेते  है  !!
हमारा  भारत  देश  विश्व--गुरु  राहा  है..अध्यात्म  हमारे  देश  का  प्राण  है..!
अपने--आपको  जानकर  जो  अपने  को  देखते  हुये    अपने--आपमें  स्थित  और  ली  हो  जाता  है  वही  सच्चा  मानव  है..!
समय  के  तत्वदर्शी  की  खोज  करके  हमको  अपना  कल्याण  करना  चाहिए..!
"श्रद्धावान  लभ्यते  ज्ञानम्.." श्रद्धा--पूर्वक  ग्यानी--गुरु  के  पास  जाकर  स्सश्तांग--दडावट--प्रणाम  करके  अपने  कल्याण  के  लिए  "आत्मा--ज्ञान"  प्राप्त  करना  चाहिए..!
सच्चा  भक्त  वाही  है..जाओ  प्रभु  को  उनके  सच्चे  नाम  से  जानकार  उनका  हमेशा  स्मरण  करा  रहता  है..!
"भक्त  वाही  जो  नाम  जपे..बाकी  दुखिया  सब  संसारा...!!"

Tuesday, December 28, 2010

Spirituality....!

Every  Human  is  born  with  an  inherent  potential  to  get  spiritual  upliftmant..!
But  after  getting  birth  in  this  transient  world,,this  sense  of  self--awakening  diminishes  and  the  child  becomes  extrovert..!
The  prime reason  of  human  downfall  is  the  lack  of  spiritual  insight  and  dedication  to  the  cause  of  spiritual  upliftmant..!
Unless  good  and  favourable  nourishment  is  provided,,this  negative  trend  gradually  takes  shape  of  total  escape  from  spirituality..!
the  apt  n  favourable  upbringing  provides  a  headway  to  recognize  the   real  aim  in life.!
It  is  the  need  of  the  time  to fetch  a  TRue  spiritual  Master  in order  to  get  spiritually awakened..
Satsang  is  the  only Way  to open the closed  skirts  of  self--attainment.!
So..let  the  people  of  the  world  thiink  with  calm  mind  as  whether  wish  to live  a  life  of  peace   or  pain..??
If  they  still find  it  sweet--sounding  to  enjoy  peace  of  mind  n heart..then  they  must  come  forward  and  share  all  the best  in  spirituality..!!
Life  is  a  melodrama..a melidy  of  sweet  n  sour  tastes..
It  is  up to  the  human  to  take  whatsoever  taste  they  like..!
Glory  to  the  Spiritual  Master  of  the  time..who  is  hard  bent  to  spread  the  message  of  GOODWILL  n  Peace..!! 

Bhajan--Ganga..!



सच्चा सुख.....!!..सच्चा भक्त..!!
निर्धन कहे धनवान सुखी..धनवान कहे सुखी राजा हमारा.!
राजा कहे महाराजा सुखी..महाराजा कहे सुखी इन्द्र हमारा..!
इन्द्र कहे ब्रह्माजी सुखी..ब्रह्माजी कहे सुखी शंकर प्यारा..!
शंकरजी कहे विष्णुजी सुखी..विष्णुजी कहे सुखी भक्त हमारा..!
भक्त वाही जो नाम जपे..बाकी दुखिया सब संसारा..!!

Monday, December 27, 2010

Bhajan--Ganga..!!

इस घट में एक ज्योति है...उस ज्योति में एक मोती है..!
पर किसी को पता ही नहि..! यह दुनिया तो सोती है..यह दुनिया तो सोती है..??
यह मोती है लाको का..नहीं काम है हाथो का..??
बिन--मोल नहीं मिलता..नहीं काम है बातो का..??
मणियो--सी चमके..लडियों--सी दमके....पर किसी को पता ही नहीं....
आया है वो व्यापारी..जिसकी दूकान है भारी..!
सौदा है नकद देता..नहीं देता है उधारी..!!
इस दूकान पर जो आता है..खरा सौदा वो पाटा है...पर किसी को पता ही नहीं.....
सदगुरु को पहचानो..उस नाम को सब जानो..!
छन्नी को ले यारो..उस नाम को सब छानो..!
जब वो नाम मिल जाए तो किस्मत खुल जाए...पर किसी को पता ही नहीं......

Friday, December 24, 2010

Gyan--ganga...!!

एक  ग्यानी  हमेशा  अलमस्त  रहता  है..! 
आनंद  देने  वाली  अलौकिक  चीज  सदैव  उसके  सामने  रहती  है..!
यह  अकथ--कहानी  है..! जिसे  व्यक्त  नही  किया  जा  सकता  है..!
ज्ञान  प्राप्त  करने  के  बाद  हर  कोई  अलमस्त  हो  जाता  है..!
जिसको  ज्ञान  नही  है..वह  संसार--सागर  में  डूबता  रहता  है..!
ग्यानी--भक्त  ही  जिज्ञासु  को  श्री   सदगुरुदेव  जी  से  मिलाते  है..और  आत्मा--ज्ञान  प्राप्त  करने  के  लए  प्रेरित  करते  है..!!

"self--attainment " का अर्थ है..अपने--आपको प्राप्त कर लेना....अपने--आपको जान लेना..अपने--आपको सिद्ध कर लेना..!!
जो अपने--आपको जान कर...अपने--आपको देखते हुए ..अपने--आप में स्थित और लीन हो जाता है ..वह अपनी आत्मा से सच्चिदानंद परमात्मा को प्राप्त कर लेता है..!!
वह सदगुरुदेव जी महान है..जो अपने भक्त को परमाय्मा में रूपातीत कर देते है..!!
ऐसे सद्गुर्देव भगवान के श्री--चरणों में कोटि--कोटि प्रणाम है.....!!

Merry Christmas..!

MERRY  CHRISTMAS  TO  ALL  FRIENDS...!!

Thursday, December 23, 2010

bhajan--ganga..!

जय--जय  हे  जग--जननी  माता...!
द्वार  तिहारे  जो  भी  आता..बिन  मागे  सब  कुछ  पा  जाता...!
तू  चाहे  तो  जीवन  दे--दे..चाहे  तो  पल  में  जीअवं  ले--ले..??
जनम--मरण   सब  हाथ  में  तेरे..तू  शक्ति  है  माता..!!..जय--जय  हे  जग--जननी  माता...!
जब--हब  जिसने   तुझको   पुकारा..तुने  दिया  माँ  बन  के  सहारा..!
और  भूले  राही  को  तेरा  प्यार  ही  राह  दिखता...!  जय--जय  हे  जग--जननी  माता...!
भक्त  तुम्हारे  जग  से  न्यारे..चरण--कमल  राज  निश--दिन  धारे..!
त्रुभुवन  विदित  तुम्हारी  महिमा..माँ  भक्ति  वर--डाटा...!  जय--जय  हे  जग--जननी  माता.....!!

bhajan..Ganga...!!

अपनी  हस्ती जो  तेरे  कदमो  पे  मिटा  देते  है...!
अपनी  हर  तौर--अदाओं  से  तुझको  मना  लेते  है..!
बड़े  होशियार  है  ये  भक्त  तेरे  क्या  कहिये..??
जब  ये  रोते  है  तो  तुझको  भी  रुला  देते  है..!!
ऐसी  आवाज  में  कहते  है  कि  तुम  आ  जाओ..!
तुझको  आने  पे  ये  मज़बूर  बना  देते  है..!!
मुफलिसी  हो  या  मुसीबत..जो  ही  आ  जाए  ईन  पर..??
तेरी  सौगात  समझकर  सर  पे  उठा  लेते  है...!!
...........अपनी..  हस्त  जो  तेरे  कदमो  पर.....!

Wednesday, December 22, 2010

satsang--ganga..!

रामचरितमानस में..विभीषण जी हनुमान जी से कहते है...
"अब मोही भा भरोस हनुमंता...बिनु हरि--कृपा मिलहि नहि संता..!!
जो रघुबीर अनुग्रह कीन्हा..तो टुम्ह मोही दरस हठ दीन्हा..!!
हनुमान जी जबाब देते है..
प्रात लेहि जो नाम हमारा..तेहि दिन ताहि ना मिले अहारा..!!
सुनहु विभीषण प्रभु के रीती..करहि सदा सेवक पर प्रीती..!!
तात कवन मै परम कुलीना..कपि चंचल सबही विधि हीणा..!!

sant--mahima..

संत  बड़े  परमार्थी..घन  ज्यों  बरसे  आय..!
तपन  मिटावे  और  की  अपनी  पारस  लाय..!!

एक  घडी  आधी  घडी  आधी--ते--पुनि--आध..!
तुलसी  संगति  साधू  की  कटे  कोटि  अपराध..!!

jhaankiyaa....!

scraps orkut



जिन  आँखों  ने  संतो  के  दर्शन  नहि  किया..वह  आँखे..मोरपंखी  आँखे  है..!
जिन  कानो  ने  संतो  की  वाणी  को  नहि  सूना..वह  कान  सांप  के  बीबर  की  तरह  है..!

"  बिधि--हरि--हर--कावि--कोविद--वाणी  कहत  साधू--महिमा  सकुचानी..!
सो  मो  सन  कहि  जात  न  कैसे  ज्ञान--बनिक--मणि--गुण--गन  जैसे..!!

bhajan--ganga//

जर्रे--जर्रे  में  है  झांकी  भगवान  की..
किसी  सूझ  वाली  आँख  ने  पहचान  की...!
नामदेव  ने  पकाई  रोटी..कुत्ते  ने  उठायी...!
पीछे  घी  का कटोरा  लिए  जा  रहे..!
प्रभु  !  सुखी  रोटी   तो  ना  खाओ  थोड़ा  घी  भी  लेते  जाओ  !
क्यों  मुझसे  सूरत  छिपा  रहे..??
मेरा--तेरा  एक  नूर..फिर  काहे  को  हुज़ूर  ..??
तुने  सूरत  है  बनायी   स्वान  की....!!  जर्रे--जरे  में  है...झांकी.....

Tuesday, December 21, 2010

satsang--ganga..!!

अगुनाहु--सगुनाहु  नहि  कछु  भेदा..!
गावहि  श्रुति--पुराण--मुनि--वेदा..!!

हाँ भाई..कुल चार अवाष्ठाये है....जाग्रत..स्वप्न ...सुषुप्ति..और तुरीय..!!
इन चारो अवाष्ठाओ में जाग्रत अवस्था को हम तीन भागो में बाँटते है...निश्चेष्ट..अर्ध--चेतन्य..और सचेष्ट..!! निश्चेष्ट में स्थावर..अर्ध--चेतन्य में पशु--पक्षी और बृक्ष आते है जबकि..सचेष्ट में मानव--जाति है..!
जो तुरीय अवस्था है..वह अति--चेतन्य की अवस्था है..जिसमे योगी हमेशा समाया रहता है..!
अतः तुरीयावस्था ही ज्ञान की अवस्था है....!!
जो तुरीय हो जाता है..वह सदाशिव को प्राप्त हो जाता है..!
धन्य है वह सदगुरुदेव जिसकी कृपा से यह ज्ञान फलीभूत होता है..

Monday, December 20, 2010

satsabg ganga..

सुनि  समुझिय  जन  मुदित  मन  मज्जहि  अति  अनुराग..!
लहही  चार  फल  अक्षत  तनू  साधू  समाज  प्रयाग..!!
मज्जन    फल  पखिय  तत्काला..काक  होई  पिक  बकाही  मराला..!!
सुनि  आचारज  करे  जनि  कोई..सत्संगति  महिमा  नहीं  गोई..!!
साथ  सुधरहि  सत्संगति  पाई..पारस  परस  कुधात  सुहाई..!!
बिधि  बस  सुजन  कुसंगति  परही..फनी  मणि  सम  निज  गुण  अनुसरही..!!

bhajan ganga..!

दूर  असत से  रहे  बने  हम्म  सत्पथ  के  अनुगामी..!
राग--द्वेष  से  मुक्त  रहे  हम..जड़--चेतन  के  स्वामी..!!
वाणी  में  हो  अमृत..अनृत  की  पड़े  ना  हम  पर  छाया..!
परहित--प्रतिछाद .. अर्पित  अपना  जीवन  अपनी  काया..!!
छिन्न--भिन्न  कर  दो  हे  प्रभु..!  तुम  तम  की  प्रस्तर  कारा..!
उद्वेलित  हो  दिव्या--ज्योति  की  निर्मल--निर्झर  दारा..!!
आलोकित  हो  तमसावृत--पथ  प्रतिपल  मंगलमय  हो..!
प्राप्त  करे  अमरत्व..मृत्यु  का  हमें  ना  किंचित  भय  हो..!!

Sunday, December 19, 2010

Bhajan Ganga....!

संतोष  की  महिमा.....!!
"भूले--मन  समझ  के  लाद  लदनिया..!
थोड़ा  लाद  अधिक  मत   लादे..टूट  जाए  तेरी  गर्दनिया..!!....भूले  मन....
प्यासा  हो  तो  पानी  पी  ले....आगे  घाट  ना  पनिया...!!
भूखा  हो  तो  भोजन  पा  ले   आगे  हाट  ना  बनिया..!!..भूले  मन...
कहे  कबीर  सुनो  भाई  साधो..काल  के  हाथ  कामनिया......भूले  मन...."

Bhajan Ganga....!


हम  तो  सत्यनाम  व्यापारी....!
कोई--कोई  लादे  सोना--कासा  कोई--कोई  लौंग--सोपारी..??
हम  तो  लागे  नाम--धनी  को  पूरण  खेप  हमारी..??

Saturday, December 18, 2010

satsang gangarkdeo: bhajan--ganga..!

satsang gangarkdeo: bhajan--ganga..!: "सदगुरुजी मेरी नैया के पतवार..! सदगुरु है माता..सदगुरु पिता है..सदगुरु है पालन--..."

Friday, December 17, 2010

Satsabg..ganga..!

चलती  चाकी  देख  कर  दिया  कबीरा  रॉय..!
दो  पाटन  के  बीच  में  साबुत  बचा  ना   कोय..!!
इस  बात  पर  कबीर  साहेब  के  बेटे  ने  दो-टूक  जबाब  दिया..>>
चलती  चाकी  देख  के  दिया  कमाल  ठथियाय..!
जो  कीली  से लगा  रहे  ताको  काल  ना  खाय..!!

Thursday, December 16, 2010

New Creation..!

satsang mahima..!

सत्संग  की  महिमा...!
रामचरितमानस  में  गोस्वामी  जी  कहते  है..>>
" धन्य--धन्य  मै  धन्य  अति..यधपि  सब  बिधि  हीन..!
निज  जन  जान  राम  मोही  संत  समागम  दीन्ह..!!

बड़े  भाग  पाईये  सतसंगा ..बिनहि  प्रयास  होही  भाव--भंगा..!
बिनु  सत्संग  विवेक  न  होई   राम  कृपा  बिनु  सुलभ  न  सोई..!!

एक  घडी  आधी  घडी  आधी--ते--पुनि--आध..!
तुलसी  संगति  साधू  की  कटे  कोटि  अपराध..!

संत  मिलन  को  चाहिए  तजि  माया  अभिमान..!
ज्यो-ज्यो  पग  आगे  बढे  कोटिक  जग्य  सामान..!!
  सत्संग  की  महिमा  अपरम्पार  है..!!

Wednesday, December 15, 2010

Sadguru--darshan..!

अन्खानिया  झाल  पड़ी  पथ  निहारि--निहारि...!..!!
जीभानिया  छाला  पढ़ी  राम  पुकारि--पुकारि...!!!!

Dharma yaatra....!!

NAATA  RAAJRAJESHWARI--HANS  MANDIR...SHREE  PREMNAGAR  ASHRAM  HARIDWAAR..UTTARANCHAL..!

Dharma yaatra...!

haridwaar  teeerth...ka  darshan..!

bhajan--ganga...!

पधारो  नाथ  पूजा  को  ह्तिदय  मंदिर  सजाया  है...!
मनोहर  बासुरी--सुन्दर  प्रभु  तुमने  सुनाया  है..!बचाओ   मोह--ममता  से  दास  सेवा  में  आया  है..!!

तुम्हारा  नाम  है  तारण..बस  यही  मेरे  मन  भाया  है..?
शरण  की  लाज  को  रख  लो...दास  चरणों  में  आया  है..!!

नहीं  मुझको  चाहिए  दौलत  फकत  दीदार  भाया  है..
अर्ज  मेरी  सुनो  गुरुवार  तमन्ना  लेकर  आया  है...!!
        ...पधारो  नाथी  पूजा  को........!!!!!

Monday, December 13, 2010

satsabg ganga..

उदारचरितानाम  तू  बसुधैव  कुटुम्बकम............!!!

bhajan ganga......!


मै  कहता  हू  आँखों  देखी..तू  कहता  है  कागद  लेखी..?
मै  कहता  हू  जागत  रहियो..तू  जाता  है  सोई  रे..?
मेरा--तेरा  मानुआ  कैसे  एक  होई  रे  ??
मै  कहता  हू  निर्मोही  रहियो..तू  हो  जाता  मोही  रे  ??
मेरा--तेरा  मानुआ  कैसे  एक  होई  रे.....????

Bhajan Ganga....!

dharma  te  birati  yog  te  gyaana...gyaan  moksha  pad  ved  bakhaana..!!

Sunday, December 12, 2010

Bhajan Ganga....!

Brahmanad  Ji  kahate  hai...>>...>

अचरज  देखा  भारी  साधो..अचरज  देखा  भारी  रे..!
गगन  बीच  अमृत  का  कुआ  झरे  सदा  सुखकारी  रे...!
पंगु  पुरुष  चढ़े  बिनु  सीढ़ी  पीवी  भर--भर  झारी  रे  !!
बिना  बजाये  निस--दिन  बाजे  घंटा--शंख--नगारी  रे..!!
बैरा  सुनी--सुनी  मस्त  होत  है  तन  की  सुदी  बिसारी  रे..!!
बिना  भूमि  का  महल  बना  है  तामे  हॉट  उजारी  रे..!!
अंधा  देख--देख  सुख  पावे  बात  बतावे  साड़ी  रे..!!
मरता  मर--मर  के  फिर  जीवे  बिन  भोजन  बलधारी  रे..!!
"ब्रह्मानंद"  संत--जन  बिरला  बूझे  बात  हमारी  रे..!!

Saturday, December 11, 2010

naam--mahima..!

राम  रामेति  रामेति  रमे  रामे  मनोरमे..!
सहस्र  नाम  तत्युल्यम  राम  नाम  बरानाने..!

Bhajan Ganga....!

श्रुति--सिद्धांत  यही  उरगारी...राम  भजो  सब  काज  बिसारी..!!

sadguru--mahima...

guru--goving  to  ek  hai  duja  yah  aakat..!
aapa  meti  jeevat  mare  so  paave  kartaar..!

 guru  ki  mahima  aparampar  hai...

guru  binu  bhav--nidhi  tarayi  na  koi..jo  biranchi  shankar  sam  hoi..!!

guru  binu  hoyi  ki  gyaan...gyaan  ki  hoyi  birag  binu..?
gavahi  ved--puran  sukh  ki  lahahi  hari  bhagati  binu..!!

Friday, December 10, 2010

satsabg ganga..

शिव-बिरंची-विष्णु  भगवाना  उपजहि  जासु  अंश  ते  नाना..!
ऐसेही  प्रभु  सेवक  बस  अहही  भगत  हेतु  लीला  तनु  गहही..!