नव--वर्ष की बधाई....!!
मेरे मित्र मुबारक हो..! सन २०११ नव--वर्ष..!
खुशिया भर जाए जीवन में जीवन भर हो तेरा उत्कर्ष..!!
नव--प्रभात दे जाए तुम्हे..नवल--ज्ञान--नव--कीर्ति--पुष्प..!!
नव--रवि--शशि - की आलोक मित्र ..कर दे जीवन को अनूप..!!
MANAV DHARM
Friday, December 31, 2010
Wednesday, December 29, 2010
Satsang--Ganga..!!
"अध्यात्म" एक ऐसा विषय है..जो अपने--आपको जानने..अपने भीतर झाकने और अपने में ही समा जाने की क्रिया--विधि और प्रेरणा देता है..!!!
यह ऐसा विषय है जो हर मानव के व्यक्तित्व..पारिवारिक--सम्माजिक--नैतिक..शैक्षणिक..चारित्रिक.. शील--संस्कार और वैयक्तिक..वैचारिक राष्ट्रीय पृष्टभूमि से जुदा हुआ है..!
मानव--जीवन का मुख्या ध्येय सुख--संपदा और शांति--संतुष्टि अर्जित करना तो सामान्यतः होता है..किन्तु इन सभी चीज को सही तरीके से अर्जित और प्राप्त करने ककी दिशा में जम जो प्रयास करते है..उसमे अध्यात्म ज्ञान..और आत्मा--तत्त्व--वोध एक प्रेरक..उत्प्रेरक जैसा कार्य करता है..!
मानव मन सामान्यतः..बुरयियो की और अपनी प्रकृत-वश भागता है..क्योकि यह मन ही सभी इन्द्रियों का राजा है..१
हम जैसे परिवेश--संस्कार में पलते--बढ़ाते--पढ़ते--करते है..वैसा ही यह मन अपना धरातल प्राप्त कर लेता है..!
स्वर्ग--नरक--मोक्ष की कल्पना हम करते है..लेकिन हम यथार्थतः इसको समझ नहि पाते..!
यह मन ही राम [svarga]..रावण [narak] और ब्रह्मा [moksha] है..!
यदि हम अच्छाई से चलते है तो राम है..बुराई से चलते है तो रावण है और यदि प्रभु का चितन--ध्यान--भजन करते है तो ब्रह्मा के साद्रश्य हो जाते है..!
स्कूल में हम सब कुछ पढ़ लेते है और उपाध्या भी प्राप्त कर लेते है..लेकिन इससे क्या..??
पढ़ाई करना और पढ़ा--लिखा होना..अलग--अलग स्थितिया है..!
एक साक्षर जो कुछ जानता है..वह एक उच्च--शिक्षित शायद नहि जनता हगा..??
इसलिए संतो की वाणी अटपटी--सी होती है..संत--लोग बहुत अधिक पढ़े लिखे नहि होते..लेकिन उनकी तपश्चर्या इतनी प्रखर होती है की वह अंतर्दृष्टि से सब कुछ जान लेते है !!
हमारा भारत देश विश्व--गुरु राहा है..अध्यात्म हमारे देश का प्राण है..!
अपने--आपको जानकर जो अपने को देखते हुये अपने--आपमें स्थित और ली हो जाता है वही सच्चा मानव है..!
समय के तत्वदर्शी की खोज करके हमको अपना कल्याण करना चाहिए..!
"श्रद्धावान लभ्यते ज्ञानम्.." श्रद्धा--पूर्वक ग्यानी--गुरु के पास जाकर स्सश्तांग--दडावट--प्रणाम करके अपने कल्याण के लिए "आत्मा--ज्ञान" प्राप्त करना चाहिए..!
सच्चा भक्त वाही है..जाओ प्रभु को उनके सच्चे नाम से जानकार उनका हमेशा स्मरण करा रहता है..!
"भक्त वाही जो नाम जपे..बाकी दुखिया सब संसारा...!!"
यह ऐसा विषय है जो हर मानव के व्यक्तित्व..पारिवारिक--सम्माजिक--नैतिक..शैक्षणिक..चारित्रिक.. शील--संस्कार और वैयक्तिक..वैचारिक राष्ट्रीय पृष्टभूमि से जुदा हुआ है..!
मानव--जीवन का मुख्या ध्येय सुख--संपदा और शांति--संतुष्टि अर्जित करना तो सामान्यतः होता है..किन्तु इन सभी चीज को सही तरीके से अर्जित और प्राप्त करने ककी दिशा में जम जो प्रयास करते है..उसमे अध्यात्म ज्ञान..और आत्मा--तत्त्व--वोध एक प्रेरक..उत्प्रेरक जैसा कार्य करता है..!
मानव मन सामान्यतः..बुरयियो की और अपनी प्रकृत-वश भागता है..क्योकि यह मन ही सभी इन्द्रियों का राजा है..१
हम जैसे परिवेश--संस्कार में पलते--बढ़ाते--पढ़ते--करते है..वैसा ही यह मन अपना धरातल प्राप्त कर लेता है..!
स्वर्ग--नरक--मोक्ष की कल्पना हम करते है..लेकिन हम यथार्थतः इसको समझ नहि पाते..!
यह मन ही राम [svarga]..रावण [narak] और ब्रह्मा [moksha] है..!
यदि हम अच्छाई से चलते है तो राम है..बुराई से चलते है तो रावण है और यदि प्रभु का चितन--ध्यान--भजन करते है तो ब्रह्मा के साद्रश्य हो जाते है..!
स्कूल में हम सब कुछ पढ़ लेते है और उपाध्या भी प्राप्त कर लेते है..लेकिन इससे क्या..??
पढ़ाई करना और पढ़ा--लिखा होना..अलग--अलग स्थितिया है..!
एक साक्षर जो कुछ जानता है..वह एक उच्च--शिक्षित शायद नहि जनता हगा..??
इसलिए संतो की वाणी अटपटी--सी होती है..संत--लोग बहुत अधिक पढ़े लिखे नहि होते..लेकिन उनकी तपश्चर्या इतनी प्रखर होती है की वह अंतर्दृष्टि से सब कुछ जान लेते है !!
हमारा भारत देश विश्व--गुरु राहा है..अध्यात्म हमारे देश का प्राण है..!
अपने--आपको जानकर जो अपने को देखते हुये अपने--आपमें स्थित और ली हो जाता है वही सच्चा मानव है..!
समय के तत्वदर्शी की खोज करके हमको अपना कल्याण करना चाहिए..!
"श्रद्धावान लभ्यते ज्ञानम्.." श्रद्धा--पूर्वक ग्यानी--गुरु के पास जाकर स्सश्तांग--दडावट--प्रणाम करके अपने कल्याण के लिए "आत्मा--ज्ञान" प्राप्त करना चाहिए..!
सच्चा भक्त वाही है..जाओ प्रभु को उनके सच्चे नाम से जानकार उनका हमेशा स्मरण करा रहता है..!
"भक्त वाही जो नाम जपे..बाकी दुखिया सब संसारा...!!"
Tuesday, December 28, 2010
Spirituality....!
Every Human is born with an inherent potential to get spiritual upliftmant..!
But after getting birth in this transient world,,this sense of self--awakening diminishes and the child becomes extrovert..!
The prime reason of human downfall is the lack of spiritual insight and dedication to the cause of spiritual upliftmant..!
Unless good and favourable nourishment is provided,,this negative trend gradually takes shape of total escape from spirituality..!
the apt n favourable upbringing provides a headway to recognize the real aim in life.!
It is the need of the time to fetch a TRue spiritual Master in order to get spiritually awakened..
Satsang is the only Way to open the closed skirts of self--attainment.!
So..let the people of the world thiink with calm mind as whether wish to live a life of peace or pain..??
If they still find it sweet--sounding to enjoy peace of mind n heart..then they must come forward and share all the best in spirituality..!!
Life is a melodrama..a melidy of sweet n sour tastes..
It is up to the human to take whatsoever taste they like..!
Glory to the Spiritual Master of the time..who is hard bent to spread the message of GOODWILL n Peace..!!
But after getting birth in this transient world,,this sense of self--awakening diminishes and the child becomes extrovert..!
The prime reason of human downfall is the lack of spiritual insight and dedication to the cause of spiritual upliftmant..!
Unless good and favourable nourishment is provided,,this negative trend gradually takes shape of total escape from spirituality..!
the apt n favourable upbringing provides a headway to recognize the real aim in life.!
It is the need of the time to fetch a TRue spiritual Master in order to get spiritually awakened..
Satsang is the only Way to open the closed skirts of self--attainment.!
So..let the people of the world thiink with calm mind as whether wish to live a life of peace or pain..??
If they still find it sweet--sounding to enjoy peace of mind n heart..then they must come forward and share all the best in spirituality..!!
Life is a melodrama..a melidy of sweet n sour tastes..
It is up to the human to take whatsoever taste they like..!
Glory to the Spiritual Master of the time..who is hard bent to spread the message of GOODWILL n Peace..!!
Bhajan--Ganga..!
सच्चा सुख.....!!..सच्चा भक्त..!!
निर्धन कहे धनवान सुखी..धनवान कहे सुखी राजा हमारा.!
राजा कहे महाराजा सुखी..महाराजा कहे सुखी इन्द्र हमारा..!
इन्द्र कहे ब्रह्माजी सुखी..ब्रह्माजी कहे सुखी शंकर प्यारा..!
शंकरजी कहे विष्णुजी सुखी..विष्णुजी कहे सुखी भक्त हमारा..!
भक्त वाही जो नाम जपे..बाकी दुखिया सब संसारा..!!
Monday, December 27, 2010
Bhajan--Ganga..!!
इस घट में एक ज्योति है...उस ज्योति में एक मोती है..!
पर किसी को पता ही नहि..! यह दुनिया तो सोती है..यह दुनिया तो सोती है..??
यह मोती है लाको का..नहीं काम है हाथो का..??
बिन--मोल नहीं मिलता..नहीं काम है बातो का..??
मणियो--सी चमके..लडियों--सी दमके....पर किसी को पता ही नहीं....
आया है वो व्यापारी..जिसकी दूकान है भारी..!
सौदा है नकद देता..नहीं देता है उधारी..!!
इस दूकान पर जो आता है..खरा सौदा वो पाटा है...पर किसी को पता ही नहीं.....
सदगुरु को पहचानो..उस नाम को सब जानो..!
छन्नी को ले यारो..उस नाम को सब छानो..!
जब वो नाम मिल जाए तो किस्मत खुल जाए...पर किसी को पता ही नहीं......
पर किसी को पता ही नहि..! यह दुनिया तो सोती है..यह दुनिया तो सोती है..??
यह मोती है लाको का..नहीं काम है हाथो का..??
बिन--मोल नहीं मिलता..नहीं काम है बातो का..??
मणियो--सी चमके..लडियों--सी दमके....पर किसी को पता ही नहीं....
आया है वो व्यापारी..जिसकी दूकान है भारी..!
सौदा है नकद देता..नहीं देता है उधारी..!!
इस दूकान पर जो आता है..खरा सौदा वो पाटा है...पर किसी को पता ही नहीं.....
सदगुरु को पहचानो..उस नाम को सब जानो..!
छन्नी को ले यारो..उस नाम को सब छानो..!
जब वो नाम मिल जाए तो किस्मत खुल जाए...पर किसी को पता ही नहीं......
Friday, December 24, 2010
Gyan--ganga...!!
एक ग्यानी हमेशा अलमस्त रहता है..!
आनंद देने वाली अलौकिक चीज सदैव उसके सामने रहती है..!
यह अकथ--कहानी है..! जिसे व्यक्त नही किया जा सकता है..!
ज्ञान प्राप्त करने के बाद हर कोई अलमस्त हो जाता है..!
जिसको ज्ञान नही है..वह संसार--सागर में डूबता रहता है..!
ग्यानी--भक्त ही जिज्ञासु को श्री सदगुरुदेव जी से मिलाते है..और आत्मा--ज्ञान प्राप्त करने के लए प्रेरित करते है..!!
"self--attainment " का अर्थ है..अपने--आपको प्राप्त कर लेना....अपने--आपको जान लेना..अपने--आपको सिद्ध कर लेना..!!
जो अपने--आपको जान कर...अपने--आपको देखते हुए ..अपने--आप में स्थित और लीन हो जाता है ..वह अपनी आत्मा से सच्चिदानंद परमात्मा को प्राप्त कर लेता है..!!
वह सदगुरुदेव जी महान है..जो अपने भक्त को परमाय्मा में रूपातीत कर देते है..!!
ऐसे सद्गुर्देव भगवान के श्री--चरणों में कोटि--कोटि प्रणाम है.....!!
आनंद देने वाली अलौकिक चीज सदैव उसके सामने रहती है..!
यह अकथ--कहानी है..! जिसे व्यक्त नही किया जा सकता है..!
ज्ञान प्राप्त करने के बाद हर कोई अलमस्त हो जाता है..!
जिसको ज्ञान नही है..वह संसार--सागर में डूबता रहता है..!
ग्यानी--भक्त ही जिज्ञासु को श्री सदगुरुदेव जी से मिलाते है..और आत्मा--ज्ञान प्राप्त करने के लए प्रेरित करते है..!!
"self--attainment " का अर्थ है..अपने--आपको प्राप्त कर लेना....अपने--आपको जान लेना..अपने--आपको सिद्ध कर लेना..!!
जो अपने--आपको जान कर...अपने--आपको देखते हुए ..अपने--आप में स्थित और लीन हो जाता है ..वह अपनी आत्मा से सच्चिदानंद परमात्मा को प्राप्त कर लेता है..!!
वह सदगुरुदेव जी महान है..जो अपने भक्त को परमाय्मा में रूपातीत कर देते है..!!
ऐसे सद्गुर्देव भगवान के श्री--चरणों में कोटि--कोटि प्रणाम है.....!!
Thursday, December 23, 2010
bhajan--ganga..!
जय--जय हे जग--जननी माता...!
द्वार तिहारे जो भी आता..बिन मागे सब कुछ पा जाता...!
तू चाहे तो जीवन दे--दे..चाहे तो पल में जीअवं ले--ले..??
जनम--मरण सब हाथ में तेरे..तू शक्ति है माता..!!..जय--जय हे जग--जननी माता...!
जब--हब जिसने तुझको पुकारा..तुने दिया माँ बन के सहारा..!
और भूले राही को तेरा प्यार ही राह दिखता...! जय--जय हे जग--जननी माता...!
भक्त तुम्हारे जग से न्यारे..चरण--कमल राज निश--दिन धारे..!
त्रुभुवन विदित तुम्हारी महिमा..माँ भक्ति वर--डाटा...! जय--जय हे जग--जननी माता.....!!
द्वार तिहारे जो भी आता..बिन मागे सब कुछ पा जाता...!
तू चाहे तो जीवन दे--दे..चाहे तो पल में जीअवं ले--ले..??
जनम--मरण सब हाथ में तेरे..तू शक्ति है माता..!!..जय--जय हे जग--जननी माता...!
जब--हब जिसने तुझको पुकारा..तुने दिया माँ बन के सहारा..!
और भूले राही को तेरा प्यार ही राह दिखता...! जय--जय हे जग--जननी माता...!
भक्त तुम्हारे जग से न्यारे..चरण--कमल राज निश--दिन धारे..!
त्रुभुवन विदित तुम्हारी महिमा..माँ भक्ति वर--डाटा...! जय--जय हे जग--जननी माता.....!!
bhajan..Ganga...!!
अपनी हस्ती जो तेरे कदमो पे मिटा देते है...!
अपनी हर तौर--अदाओं से तुझको मना लेते है..!
बड़े होशियार है ये भक्त तेरे क्या कहिये..??
जब ये रोते है तो तुझको भी रुला देते है..!!
ऐसी आवाज में कहते है कि तुम आ जाओ..!
तुझको आने पे ये मज़बूर बना देते है..!!
मुफलिसी हो या मुसीबत..जो ही आ जाए ईन पर..??
तेरी सौगात समझकर सर पे उठा लेते है...!!
...........अपनी.. हस्त जो तेरे कदमो पर.....!
अपनी हर तौर--अदाओं से तुझको मना लेते है..!
बड़े होशियार है ये भक्त तेरे क्या कहिये..??
जब ये रोते है तो तुझको भी रुला देते है..!!
ऐसी आवाज में कहते है कि तुम आ जाओ..!
तुझको आने पे ये मज़बूर बना देते है..!!
मुफलिसी हो या मुसीबत..जो ही आ जाए ईन पर..??
तेरी सौगात समझकर सर पे उठा लेते है...!!
...........अपनी.. हस्त जो तेरे कदमो पर.....!
Wednesday, December 22, 2010
satsang--ganga..!
रामचरितमानस में..विभीषण जी हनुमान जी से कहते है...
"अब मोही भा भरोस हनुमंता...बिनु हरि--कृपा मिलहि नहि संता..!!
जो रघुबीर अनुग्रह कीन्हा..तो टुम्ह मोही दरस हठ दीन्हा..!!
हनुमान जी जबाब देते है..
प्रात लेहि जो नाम हमारा..तेहि दिन ताहि ना मिले अहारा..!!
सुनहु विभीषण प्रभु के रीती..करहि सदा सेवक पर प्रीती..!!
तात कवन मै परम कुलीना..कपि चंचल सबही विधि हीणा..!!
sant--mahima..
संत बड़े परमार्थी..घन ज्यों बरसे आय..!
तपन मिटावे और की अपनी पारस लाय..!!
एक घडी आधी घडी आधी--ते--पुनि--आध..!
तुलसी संगति साधू की कटे कोटि अपराध..!!
तपन मिटावे और की अपनी पारस लाय..!!
एक घडी आधी घडी आधी--ते--पुनि--आध..!
तुलसी संगति साधू की कटे कोटि अपराध..!!
jhaankiyaa....!
bhajan--ganga//
जर्रे--जर्रे में है झांकी भगवान की..
किसी सूझ वाली आँख ने पहचान की...!
नामदेव ने पकाई रोटी..कुत्ते ने उठायी...!
पीछे घी का कटोरा लिए जा रहे..!
प्रभु ! सुखी रोटी तो ना खाओ थोड़ा घी भी लेते जाओ !
क्यों मुझसे सूरत छिपा रहे..??
मेरा--तेरा एक नूर..फिर काहे को हुज़ूर ..??
तुने सूरत है बनायी स्वान की....!! जर्रे--जरे में है...झांकी.....
किसी सूझ वाली आँख ने पहचान की...!
नामदेव ने पकाई रोटी..कुत्ते ने उठायी...!
पीछे घी का कटोरा लिए जा रहे..!
प्रभु ! सुखी रोटी तो ना खाओ थोड़ा घी भी लेते जाओ !
क्यों मुझसे सूरत छिपा रहे..??
मेरा--तेरा एक नूर..फिर काहे को हुज़ूर ..??
तुने सूरत है बनायी स्वान की....!! जर्रे--जरे में है...झांकी.....
Tuesday, December 21, 2010
satsang--ganga..!!
अगुनाहु--सगुनाहु नहि कछु भेदा..!
गावहि श्रुति--पुराण--मुनि--वेदा..!!
गावहि श्रुति--पुराण--मुनि--वेदा..!!
इन चारो अवाष्ठाओ में जाग्रत अवस्था को हम तीन भागो में बाँटते है...निश्चेष्ट..अर्ध--चेतन्य..और सचेष्ट..!! निश्चेष्ट में स्थावर..अर्ध--चेतन्य में पशु--पक्षी और बृक्ष आते है जबकि..सचेष्ट में मानव--जाति है..!
जो तुरीय अवस्था है..वह अति--चेतन्य की अवस्था है..जिसमे योगी हमेशा समाया रहता है..!
अतः तुरीयावस्था ही ज्ञान की अवस्था है....!!
जो तुरीय हो जाता है..वह सदाशिव को प्राप्त हो जाता है..!
धन्य है वह सदगुरुदेव जिसकी कृपा से यह ज्ञान फलीभूत होता है..
Monday, December 20, 2010
satsabg ganga..
सुनि समुझिय जन मुदित मन मज्जहि अति अनुराग..!
लहही चार फल अक्षत तनू साधू समाज प्रयाग..!!
मज्जन फल पखिय तत्काला..काक होई पिक बकाही मराला..!!
सुनि आचारज करे जनि कोई..सत्संगति महिमा नहीं गोई..!!
साथ सुधरहि सत्संगति पाई..पारस परस कुधात सुहाई..!!
बिधि बस सुजन कुसंगति परही..फनी मणि सम निज गुण अनुसरही..!!
लहही चार फल अक्षत तनू साधू समाज प्रयाग..!!
मज्जन फल पखिय तत्काला..काक होई पिक बकाही मराला..!!
सुनि आचारज करे जनि कोई..सत्संगति महिमा नहीं गोई..!!
साथ सुधरहि सत्संगति पाई..पारस परस कुधात सुहाई..!!
बिधि बस सुजन कुसंगति परही..फनी मणि सम निज गुण अनुसरही..!!
bhajan ganga..!
दूर असत से रहे बने हम्म सत्पथ के अनुगामी..!
राग--द्वेष से मुक्त रहे हम..जड़--चेतन के स्वामी..!!
वाणी में हो अमृत..अनृत की पड़े ना हम पर छाया..!
परहित--प्रतिछाद .. अर्पित अपना जीवन अपनी काया..!!
छिन्न--भिन्न कर दो हे प्रभु..! तुम तम की प्रस्तर कारा..!
उद्वेलित हो दिव्या--ज्योति की निर्मल--निर्झर दारा..!!
आलोकित हो तमसावृत--पथ प्रतिपल मंगलमय हो..!
प्राप्त करे अमरत्व..मृत्यु का हमें ना किंचित भय हो..!!
राग--द्वेष से मुक्त रहे हम..जड़--चेतन के स्वामी..!!
वाणी में हो अमृत..अनृत की पड़े ना हम पर छाया..!
परहित--प्रतिछाद .. अर्पित अपना जीवन अपनी काया..!!
छिन्न--भिन्न कर दो हे प्रभु..! तुम तम की प्रस्तर कारा..!
उद्वेलित हो दिव्या--ज्योति की निर्मल--निर्झर दारा..!!
आलोकित हो तमसावृत--पथ प्रतिपल मंगलमय हो..!
प्राप्त करे अमरत्व..मृत्यु का हमें ना किंचित भय हो..!!
Sunday, December 19, 2010
Bhajan Ganga....!
संतोष की महिमा.....!!
"भूले--मन समझ के लाद लदनिया..!
थोड़ा लाद अधिक मत लादे..टूट जाए तेरी गर्दनिया..!!....भूले मन....
प्यासा हो तो पानी पी ले....आगे घाट ना पनिया...!!
भूखा हो तो भोजन पा ले आगे हाट ना बनिया..!!..भूले मन...
कहे कबीर सुनो भाई साधो..काल के हाथ कामनिया......भूले मन...."
"भूले--मन समझ के लाद लदनिया..!
थोड़ा लाद अधिक मत लादे..टूट जाए तेरी गर्दनिया..!!....भूले मन....
प्यासा हो तो पानी पी ले....आगे घाट ना पनिया...!!
भूखा हो तो भोजन पा ले आगे हाट ना बनिया..!!..भूले मन...
कहे कबीर सुनो भाई साधो..काल के हाथ कामनिया......भूले मन...."
Bhajan Ganga....!
हम तो सत्यनाम व्यापारी....!
कोई--कोई लादे सोना--कासा कोई--कोई लौंग--सोपारी..??
हम तो लागे नाम--धनी को पूरण खेप हमारी..??
कोई--कोई लादे सोना--कासा कोई--कोई लौंग--सोपारी..??
हम तो लागे नाम--धनी को पूरण खेप हमारी..??
Saturday, December 18, 2010
satsang gangarkdeo: bhajan--ganga..!
satsang gangarkdeo: bhajan--ganga..!: "सदगुरुजी मेरी नैया के पतवार..! सदगुरु है माता..सदगुरु पिता है..सदगुरु है पालन--..."
Friday, December 17, 2010
Thursday, December 16, 2010
satsang mahima..!
सत्संग की महिमा...!
रामचरितमानस में गोस्वामी जी कहते है..>>
" धन्य--धन्य मै धन्य अति..यधपि सब बिधि हीन..!
निज जन जान राम मोही संत समागम दीन्ह..!!
बड़े भाग पाईये सतसंगा ..बिनहि प्रयास होही भाव--भंगा..!
बिनु सत्संग विवेक न होई राम कृपा बिनु सुलभ न सोई..!!
एक घडी आधी घडी आधी--ते--पुनि--आध..!
तुलसी संगति साधू की कटे कोटि अपराध..!
संत मिलन को चाहिए तजि माया अभिमान..!
ज्यो-ज्यो पग आगे बढे कोटिक जग्य सामान..!!
सत्संग की महिमा अपरम्पार है..!!
रामचरितमानस में गोस्वामी जी कहते है..>>
" धन्य--धन्य मै धन्य अति..यधपि सब बिधि हीन..!
निज जन जान राम मोही संत समागम दीन्ह..!!
बड़े भाग पाईये सतसंगा ..बिनहि प्रयास होही भाव--भंगा..!
बिनु सत्संग विवेक न होई राम कृपा बिनु सुलभ न सोई..!!
एक घडी आधी घडी आधी--ते--पुनि--आध..!
तुलसी संगति साधू की कटे कोटि अपराध..!
संत मिलन को चाहिए तजि माया अभिमान..!
ज्यो-ज्यो पग आगे बढे कोटिक जग्य सामान..!!
सत्संग की महिमा अपरम्पार है..!!
Wednesday, December 15, 2010
Dharma yaatra....!!
NAATA RAAJRAJESHWARI--HANS MANDIR...SHREE PREMNAGAR ASHRAM HARIDWAAR..UTTARANCHAL..!
bhajan--ganga...!
पधारो नाथ पूजा को ह्तिदय मंदिर सजाया है...!
मनोहर बासुरी--सुन्दर प्रभु तुमने सुनाया है..!बचाओ मोह--ममता से दास सेवा में आया है..!!
तुम्हारा नाम है तारण..बस यही मेरे मन भाया है..?
शरण की लाज को रख लो...दास चरणों में आया है..!!
नहीं मुझको चाहिए दौलत फकत दीदार भाया है..
अर्ज मेरी सुनो गुरुवार तमन्ना लेकर आया है...!!
...पधारो नाथी पूजा को........!!!!!
मनोहर बासुरी--सुन्दर प्रभु तुमने सुनाया है..!बचाओ मोह--ममता से दास सेवा में आया है..!!
तुम्हारा नाम है तारण..बस यही मेरे मन भाया है..?
शरण की लाज को रख लो...दास चरणों में आया है..!!
नहीं मुझको चाहिए दौलत फकत दीदार भाया है..
अर्ज मेरी सुनो गुरुवार तमन्ना लेकर आया है...!!
...पधारो नाथी पूजा को........!!!!!
Monday, December 13, 2010
bhajan ganga......!
मै कहता हू आँखों देखी..तू कहता है कागद लेखी..?
मै कहता हू जागत रहियो..तू जाता है सोई रे..?
मेरा--तेरा मानुआ कैसे एक होई रे ??
मै कहता हू निर्मोही रहियो..तू हो जाता मोही रे ??
मेरा--तेरा मानुआ कैसे एक होई रे.....????
मै कहता हू जागत रहियो..तू जाता है सोई रे..?
मेरा--तेरा मानुआ कैसे एक होई रे ??
मै कहता हू निर्मोही रहियो..तू हो जाता मोही रे ??
मेरा--तेरा मानुआ कैसे एक होई रे.....????
Sunday, December 12, 2010
Bhajan Ganga....!
Brahmanad Ji kahate hai...>>...>
गगन बीच अमृत का कुआ झरे सदा सुखकारी रे...!
पंगु पुरुष चढ़े बिनु सीढ़ी पीवी भर--भर झारी रे !!
बिना बजाये निस--दिन बाजे घंटा--शंख--नगारी रे..!!
बैरा सुनी--सुनी मस्त होत है तन की सुदी बिसारी रे..!!
बिना भूमि का महल बना है तामे हॉट उजारी रे..!!
अंधा देख--देख सुख पावे बात बतावे साड़ी रे..!!
मरता मर--मर के फिर जीवे बिन भोजन बलधारी रे..!!
"ब्रह्मानंद" संत--जन बिरला बूझे बात हमारी रे..!!
Saturday, December 11, 2010
sadguru--mahima...
guru--goving to ek hai duja yah aakat..!
aapa meti jeevat mare so paave kartaar..!
guru ki mahima aparampar hai...
guru binu bhav--nidhi tarayi na koi..jo biranchi shankar sam hoi..!!
guru binu hoyi ki gyaan...gyaan ki hoyi birag binu..?
gavahi ved--puran sukh ki lahahi hari bhagati binu..!!
aapa meti jeevat mare so paave kartaar..!
guru ki mahima aparampar hai...
guru binu bhav--nidhi tarayi na koi..jo biranchi shankar sam hoi..!!
guru binu hoyi ki gyaan...gyaan ki hoyi birag binu..?
gavahi ved--puran sukh ki lahahi hari bhagati binu..!!
Friday, December 10, 2010
satsabg ganga..
शिव-बिरंची-विष्णु भगवाना उपजहि जासु अंश ते नाना..!
ऐसेही प्रभु सेवक बस अहही भगत हेतु लीला तनु गहही..!
ऐसेही प्रभु सेवक बस अहही भगत हेतु लीला तनु गहही..!
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