दूर असत से रहे बने हम्म सत्पथ के अनुगामी..!
राग--द्वेष से मुक्त रहे हम..जड़--चेतन के स्वामी..!!
वाणी में हो अमृत..अनृत की पड़े ना हम पर छाया..!
परहित--प्रतिछाद .. अर्पित अपना जीवन अपनी काया..!!
छिन्न--भिन्न कर दो हे प्रभु..! तुम तम की प्रस्तर कारा..!
उद्वेलित हो दिव्या--ज्योति की निर्मल--निर्झर दारा..!!
आलोकित हो तमसावृत--पथ प्रतिपल मंगलमय हो..!
प्राप्त करे अमरत्व..मृत्यु का हमें ना किंचित भय हो..!!
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