जर्रे--जर्रे में है झांकी भगवान की..
किसी सूझ वाली आँख ने पहचान की...!
नामदेव ने पकाई रोटी..कुत्ते ने उठायी...!
पीछे घी का कटोरा लिए जा रहे..!
प्रभु ! सुखी रोटी तो ना खाओ थोड़ा घी भी लेते जाओ !
क्यों मुझसे सूरत छिपा रहे..??
मेरा--तेरा एक नूर..फिर काहे को हुज़ूर ..??
तुने सूरत है बनायी स्वान की....!! जर्रे--जरे में है...झांकी.....
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