MANAV DHARM

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Wednesday, April 27, 2011

"सबही सुलभ सब दिन सब देसा..सेवत सादर समन कलेसा

आज के समय में समाज में कुछ लोग ऐसे है..जिन्हें बस्तुतः "ज्ञान" से कुछ लेना-देना नहीं है.अपितु अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए स्थापित मान्यताओं..मर्यादाओं और ज्ञान के आधारभूत मानदंडो की खुले आम धज्जिया उड़ाने में लगे हुए है..!
"ज्ञान" व्यक्ति को परमात्मा से मिलाता है..परमात्म-तत्व की अनुभूति करता है..!
जिस "ज्ञान" से परमात्मा के सर्व-व्यापक-स्वरूप का ज्ञान होता है..वही..तत्व-ज्ञान है..!
जो इस "तत्व-ज्ञान" का तत्वतः वोध जिज्ञासु को करने में सक्षम है..वही तत्व-ज्ञानी-गुरु है..!
ऐसे गुरु की अविरक-कृपा से जिज्ञासु ज्ञान प्राप्त करके "हंस" हो जाता है..!
उसका स्वभाव "सार-सार को गहि रहे..थोथा देई उडाय.." जैसा हो जाता है..!
सब कुछ उसके समक्ष पारदर्शी हो जाता है..!
इसलिए..आवश्यकता है..इस "ज्ञान" को जानने-समझाने और प्राप्त करने की..!
ज्ञान-डाटा ..तत्ववेत्ता-गुरु तो सदैव ही सुलभ है..लेकिन..उनकी खोज करने में आज के मानव की उतनी अभिरुचि नहीं है..जीतनी की उनकी निंदा-आलोचना और चरित्र -हनन में है..!
गोस्वामी तुलसीदासजी कहते है...

"सबही सुलभ सब दिन सब देसा..सेवत सादर समन कलेसा..!!अकथ अलौकिक तीरथ राऊ..देई सदय फल प्रगट प्रभाऊ..!
अर्थात..सन दिनी में..सब देशो में सभी काल में तत्वदर्शी महान पुरुष सुलभ है..जिनकी सेवा करने से सभी क्लेशो का नाश हो जाता है..! यह ऐसे अलौकिक तीर्थ है..जहां पहुँचाने मात्र से ही तत्क्षण कल्याण हो जाता है..!
..आज के मानव का यह हट-भाग्य है की..वह अपने ज्ञान की सही दिशा को न जानकर दिग्भ्रमित हो रहा है और सही.सुलभ संत-महान-पुरुष के पास पहुँचने में असमर्थ है..!
सचमुच में प्रभुजी की माया अलौकिक है..!
ॐ श्री सद्गुरु चरण कमलेभ्यो नमः......!!

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