मैंने नर--तन दिया तुमको जिसके लिए...
तुमने उसको भुलाया तो मै क्या काउ...मै क्या करू...??
वेद रचना किया ज्ञान के हेतु मै...!
मौके--मौके पर आकर बताता राहा...?
घट में ही तेरे इश्वर इशारा किया...!
दर--ब--दर ढूंढ़ जीवर गवारा किया..
धर्मं--ग्रंथो में संतो का अनुभव भरा...!
गीत मजनू के गाये तो मै क्या करू ..??..मैंने नर--तन दिया.....
बाजा अनहद का बजता तेरी देह में...!
तुने घंटी हिलाई तो मै क्या करुई...??
मन--मंदिर में है ज्योति देखा नहि..??
सर्वदा घी के दिए जलाता राहा..??
पी कर मदिरा तू मस्त में पागल राहा...
आज अंशु बहाए तो मै क्या करू..?? मैंने नर--तन दिया....
चेत लो मानव अब भी समय है यहि...??
कृपासिंधु आये धरा--धाम पर...!!
कृपासिंधु है वो आनंद कंद भगवान....!!
पर्दा आँखों पर छाये तो मै क्या करू...?? मैंने नर--तन दिया ....
तुमने उसको भुलाया तो मै क्या काउ...मै क्या करू...??
वेद रचना किया ज्ञान के हेतु मै...!
मौके--मौके पर आकर बताता राहा...?
घट में ही तेरे इश्वर इशारा किया...!
दर--ब--दर ढूंढ़ जीवर गवारा किया..
धर्मं--ग्रंथो में संतो का अनुभव भरा...!
गीत मजनू के गाये तो मै क्या करू ..??..मैंने नर--तन दिया.....
बाजा अनहद का बजता तेरी देह में...!
तुने घंटी हिलाई तो मै क्या करुई...??
मन--मंदिर में है ज्योति देखा नहि..??
सर्वदा घी के दिए जलाता राहा..??
पी कर मदिरा तू मस्त में पागल राहा...
आज अंशु बहाए तो मै क्या करू..?? मैंने नर--तन दिया....
चेत लो मानव अब भी समय है यहि...??
कृपासिंधु आये धरा--धाम पर...!!
कृपासिंधु है वो आनंद कंद भगवान....!!
पर्दा आँखों पर छाये तो मै क्या करू...?? मैंने नर--तन दिया ....