MANAV DHARM
Thursday, January 13, 2011
Tatva--varnan...!!
गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते है...."".हे अर्जुन..! पंचभूतों से निर्मित यह शारीर ही क्षेत्र है....जिसमे पांचो कर्मेन्द्रिया ही अधिभूत...पांचो ज्ञानेन्द्रिया ही अधिदेव है तथा इसमें प्रवाहित प्राण ही अधियज्ञ है...!! इस क्षेत्र का ज्ञाता ही क्षेत्रज्ञ है...!!
मै ही यह क्षेत्र..और क्षेत्रज्ञ....अधिभूत..अधिदेव..और अधियज्ञ..हू...!!
सभी कुछ मेरे से ही उय्पन्न हुआ जान...!!""
इस प्रकार यह मानव शारीर ही परमात्मा का घर है...जिसमे निरंतर यज्ञ हो राहा है..!! जो इस शारीर को तत्त्व से जान लेता है..वह सब कुछ जान जाता है..!!
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