MANAV DHARM
Tuesday, January 4, 2011
Gyan--Ganga..!!
परमात्मा एक शक्ति[energy] है..!
वह सैट..चित..आनंद..(सच्चिदानन्दमय ) है..!!
सैट ( सत्य ) उनका रूप..चित *चेतना ) उनकी प्रकृति और आनंद ( शाश्वत-शांति ) उनका स्वरुप है..!!
सत्य ही प्रकाश है...चेतना ही शक्ति है..आनंद ही शाश्वत--शान्ति है..!!
परमात्मा अर्धनारीश्वर है....शिव और शक्ति..जड़ और चेतन का संगम है..!! जो कभी बदलता नहि वह सनातन तत्त्व ही सत्य है..जो प्रकाश--स्वरुप है..!सत्यार्थप्रकाश..!!
गीता में श्रीकृष्ण भाफवन कहते है....
ना तद्भाशायातो सूर्यो ना शाशानको ना पावकः..तद्गात्वा ना निवर्तन्ते तद्धाम परमम् ममः..!!
यही बिबले में divine light है..रामचरितमानस में परम--प्रकाश है..कुरान में नूर-ए-इलाही है..गुरुग्रंथ में चांदना है..!! यही सवितादेव का भर्ग (ज्योति) है..!!
चाटना ही शक्ति है..यही..गायत्री--महाप्राण है..यही कुण्डलिनी है..यही निरंजन--माला है..!!
शक्ति अजन्मा..सनातन..शाश्वत..चिन्मय और अविनाशी है..!
यह सर्व--व्यापक..सर्व--शक्तिमान सर्व--कल्याणकारी है..!!
Energy can niether be created..nor it can be destroyed..!!
मानव जीवन को चलने वाली यही परा--शक्ति है..जो स्वान्शो में समाई हुयी है..!!
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता...नमस्ताये..नमस्ताये..नमस्ताये..नमोनमः..!!
शाश्वत--आनंद (BLISS) ही परमात्मा का स्वरुप है..!
ब्रह्माण्ड के कण--कण में आनंद ओत--प्रोत है..
मानव--शारीर ही आनंद का घर है..यही रामायण (राम का घर ) है..!
यह सभी तत्त्व मानव के अन्दर विद्द्यमान है..!!
इसलिए यदि परमात्मा को पाना है..तो सबसे पहले अपने--आपको प्राप्त करना..जानना चाहिए..!!
अपने--आपको जान लेने से सब कुछ जाना हुआ हो जाता है..!
लेकिन येही सब जानने के लिए ही तत्वदर्शी की शरणागत होना पड़ता है..!!
सोई जानहि जेहि देहि जाने..जानत तुम्हहि--तुम्हहि होई जाई..!!
इसलिए जो यह जनता है..वही जना सकता है और जनाने के बाद उसको भी अपने जैसा ही बना लेता है..!!
हे मानव..उठो..जागो..और अपने लक्ष्य को प्राप्त करो..!!
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