शब्द--ब्रह्म की स्तुति करते हुए रामचरितमानस में गोस्वामीजी कहते है....>
"जो सुमिरत सिधि होय गणनायक करिवर बदन..!
करहु अनुग्रह सोई बुद्धि--राशि--शुभ--गुन--सदन..!! "
अर्थात....जिसके स्मरण करने मात्र से सिद्धि प्राप्त हो जाती है..और भगवान श्री गणेशजी जिसकी बंदना करते रहते है...वह एकाक्षर--ब्रह्म मेरे ऊपर अनुग्रह करे जो बुद्धि की राशि और सभी शुभ--गुणों का घर है...!!
....इस प्रकार सबसे पहले गोस्वामीजी ने परम--पिटा--परमात्मा के पावन नाम की स्तुति की..जिससे उनको रामचरितमानस जैसे महाकाव्य जी रचना में सफलता प्राप्त हुयी...और जो सामवेद के सामान सम्पूर्ण विश्व में विख्यात हुआ..!!
...सदगुरुदेव महाराज जी की अहेतु की कृपा से हम सभी भक्तो को यही पावन नाम प्राप्त हुआ है..जो सामवेद के सामान फल देनेवाला है..अतः हम सबको इसकी उपासना--सुमिरन--स्तुति सच्चे ह्रदय और समर्पण--भाव से करनी चाहिए...!!
"जो सुमिरत सिधि होय गणनायक करिवर बदन..!
करहु अनुग्रह सोई बुद्धि--राशि--शुभ--गुन--सदन..!! "
अर्थात....जिसके स्मरण करने मात्र से सिद्धि प्राप्त हो जाती है..और भगवान श्री गणेशजी जिसकी बंदना करते रहते है...वह एकाक्षर--ब्रह्म मेरे ऊपर अनुग्रह करे जो बुद्धि की राशि और सभी शुभ--गुणों का घर है...!!
....इस प्रकार सबसे पहले गोस्वामीजी ने परम--पिटा--परमात्मा के पावन नाम की स्तुति की..जिससे उनको रामचरितमानस जैसे महाकाव्य जी रचना में सफलता प्राप्त हुयी...और जो सामवेद के सामान सम्पूर्ण विश्व में विख्यात हुआ..!!
...सदगुरुदेव महाराज जी की अहेतु की कृपा से हम सभी भक्तो को यही पावन नाम प्राप्त हुआ है..जो सामवेद के सामान फल देनेवाला है..अतः हम सबको इसकी उपासना--सुमिरन--स्तुति सच्चे ह्रदय और समर्पण--भाव से करनी चाहिए...!!
Where is LIGHT...there is LOVE...! Where is LOVE..there is LIFE...!!
ReplyDeleteWhere is LIFE..there is DEVOTION...! Where is DEVOTION...there is DEDICATION..!! Where is DEDICATION..there is BLISS...!! Where is BLISS...there is TRANSCENDANCE....!! Where is TRANSCENDANCE..there is PERPETUAL PEACE>>>>!!...
भजन-गंगा में गोता लगाइए......
ReplyDeleteझीनी रे झीनी बीनी चदरिया...!
काहे को धागा और काहे को भरनी..कवन तार से बीनी चदरिया..??
इगला-पिगला तागा-भरनी....सुखमय तार से बीनी चदरिया..!
साईं को बुनत मॉस--दस लागे....ठोक--ठोक के बीनी चदरिया..!
आठ कमल--दल चरखा डोले....पांच--तत्त्व तीन--गुनी चदरिया....!!
सोई चादर सुर--नर--मुनि ओढे...ओढ़ के मैली कीन्ही चदरिया..!
ध्रुव ओढ़ी प्रहलाद ने ओढ़ी..शुकदेव पावन कीन्ही चदरिया..!!
दास कबीर जातां से ओढ़ी...जस-की-तस रख दीन्ही चदरिया....!!
.....झीनी रे झीनी बीनी चदरिया..............!!