MANAV DHARM

MANAV  DHARM

Monday, January 17, 2011

spirituality...in essence....!

"योग"  क्या  है...??
गणित  में  दो  अंको  का  जोड़  योग  कहलाता  है...!
ऐसे  ही  अध्यात्मा  में  शब्द  और  श्रुति  का  मेल  ही  योग  है...!!
जब  तक  व्यक्ति  गुरु--दरबार  में  प्रवेश  करके  ज्ञान--दीक्षा  नहीं  प्राप्त  कर  लेता  ...तब--तक  वह  माया  में  ही  भटकता  रहता  है...!!
गुरु  की  शरणागत  होते  ही  उसके  जीवन  की  भटकन  समाप्त  हो  जाती  है..!!
उसको  अपने  ज्ञान--नेत्र  का  अभिज्ञान  हो  जाता  है..और  वह  चर्ममय  संसार  से  अपने  चित्त  को  हटाकर  शाश्वत  ज्योति  के  दिग्दर्शन  में  लगा  देता  है...!!
ज्ञान--दीक्षा  में  प्राप्त  हुए  गुरु--मंत्र  ( शब्द )  का  एकाग्र  मन  से  सुमिरन  करते--करते सद्गुरु--कृपा  से एक  ऐसी  अवस्था  प्राप्त  होती  है...जबकि  उसकी  सुरति ( मनरूपी  आत्मा )
गुरु--वाणी  (शब्द)  मे  लीन  हो  जाती  है...इसे  ही  शब्द  और  श्रुति  का  एकीकरण  कहते  है....!!
यह  ऐसे   परम--सौभाग्यशाली  भक्तो  को 
  प्राप्त  होता  है..जो गुरु  के  श्रीचरणों  मे  समर्पित  होकर  निरंतर  अभ्यास  मे  लगे  रहते  है....!!
...यही  ध्यात्मा  का  शाश्वत--सिद्धांत  है.....!!

No comments:

Post a Comment