मुक्ति क्या है..??
योग की सहज अवस्था अर्थात " SELF--TRANSCENDANCE " ही मुक्ति है...!!
इस अवस्था में योगी सदैव समाधि में रहता है....!!
प्राणों का सम ( सामान ) होना ही समाधि है..!!
मानव शारीर में प्राण पांच अवस्थाओं में रहता है..पान...अपां...उड़ान..व्याण और सामान...!!
योगी इन सभी की अनुभूति सदगुरुदेव महाराज जी की कृपा से सहज में प्राप्त कर कृत--कृत्य हो जाता है....!!
स्कन्द पुराण में सत्य ही कहा गया है....
"ध्यान्मुलम गुरुमुर्तिः पुजामुलम गुरुपादुका...मंत्रमुलम गुरुवाक्यम मोक्षमुलम गुरुकृपा....!!
धन्य है वह सद्गुरुदेव्जी जो सदशिष्य को सहज में ही मुक्ति प्रदान कर देते है....!!
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