नाम--सुमिरन की महिमा......
चिता है सतनाम की..और न चितवे दास..!
जो चिंता है नाम बिन..सोई काल की फास...!!
नाम लिया तिन्ह सब लिया..सकल वेद का भेद..!!
बिना नाम नरके पडा..पढता चारो वेद...
कोटि नाम संसार में ताते मुक्ति न होय..!
आदि नाम जो गुप्त जप..बुझे विरला कोय..!!
शब्द बिना सूरत अँधेरी..कहो कहा को जाय..!
द्वार न पावे शब्द का फिर--फिर भटका खाय..!!
मंगल भवन अमंगलहारी...उमा सहित जेहि जपत पुरारी...!!
सहस्र नाम सुनि शिव--बानी...जप ज़ेही शिव संग भवानी...!!
राम एक तापस तिय तारी नाम कोटि सत कुमति सुधारी...!
कहो कहा लगि नाम बड़ाई..राम न सकहि नाम गुण गई..!!
..........आदि सच..जुगादि सच..नानक है भी सच और होसी भी सच......!!
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