MANAV DHARM

MANAV  DHARM

Monday, December 20, 2010

bhajan ganga..!

दूर  असत से  रहे  बने  हम्म  सत्पथ  के  अनुगामी..!
राग--द्वेष  से  मुक्त  रहे  हम..जड़--चेतन  के  स्वामी..!!
वाणी  में  हो  अमृत..अनृत  की  पड़े  ना  हम  पर  छाया..!
परहित--प्रतिछाद .. अर्पित  अपना  जीवन  अपनी  काया..!!
छिन्न--भिन्न  कर  दो  हे  प्रभु..!  तुम  तम  की  प्रस्तर  कारा..!
उद्वेलित  हो  दिव्या--ज्योति  की  निर्मल--निर्झर  दारा..!!
आलोकित  हो  तमसावृत--पथ  प्रतिपल  मंगलमय  हो..!
प्राप्त  करे  अमरत्व..मृत्यु  का  हमें  ना  किंचित  भय  हो..!!

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