MANAV DHARM

MANAV  DHARM

Wednesday, December 22, 2010

bhajan--ganga//

जर्रे--जर्रे  में  है  झांकी  भगवान  की..
किसी  सूझ  वाली  आँख  ने  पहचान  की...!
नामदेव  ने  पकाई  रोटी..कुत्ते  ने  उठायी...!
पीछे  घी  का कटोरा  लिए  जा  रहे..!
प्रभु  !  सुखी  रोटी   तो  ना  खाओ  थोड़ा  घी  भी  लेते  जाओ  !
क्यों  मुझसे  सूरत  छिपा  रहे..??
मेरा--तेरा  एक  नूर..फिर  काहे  को  हुज़ूर  ..??
तुने  सूरत  है  बनायी   स्वान  की....!!  जर्रे--जरे  में  है...झांकी.....

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