MANAV DHARM

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Monday, March 18, 2013

जो गुरुओ के भी गुरु है..वही सदगुरु है..!

जो गुरुओ के भी गुरु है..वही सदगुरु है..!
जो सत्य का प्रत्यक्ष दिग्दर्शन कराने में सक्षम है वही सदगुरु है..!
जो आवागमन के चक्र से मुक्ति  प्रदान करने में समर्थ है..वही सदगुरु है..!
जो आत्म-ज्ञान देकर शब्द-श्रुति की एकता में चित्त को स्थिर और स्थित करके जीव और ब्रह्म का मेल करा दे..वाही समय के सदगुरु है..!..तत्वदर्शी महान-पुरुष है...!!
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कहता था..कहे जात था..
लोक वेड के साथ..!
पड़े में सतगुरु मिले..
दीपक दीन्हा हाथ..!
दीपक दीन्हा हाथ करि..
वास्तु दई लखाय..!
कोटि जनम का पंथ था..
पल में पंहुचा जाय..!
....भाव स्पष्ट है...
सदगुरु की कृपा से कोटि जन्म में भी जो मंजिल हासिल नहीं हो सकती है..वहा पल में ही जीव पहुच जाता है..!
ऐसे सद्गुरुदेव्जी के श्री-चरणों में साष्टांग दंडवत प्रणाम है..!!

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