MANAV DHARM

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Thursday, March 7, 2013

‎"अष्टांग-योग" में "ध्यान" सातवे स्थान पर है..!

‎"अष्टांग-योग" में "ध्यान" सातवे स्थान पर है..!
"ध्यान" की "ध्येय-वस्तु" का ज्ञान तत्वदर्शी-गुरु से प्राप्त होता है..!
"ध्याता" बिना "ध्येय-वस्तु" को जाने "ध्यान" कदापि नहीं कर सकता..!
इसीलिए "ध्येय-वस्तु" को जानने के लिए तत्वदर्शी गुरु की खोज करनी चाहिए...!
समय का कोई-कोई विरल ही ऐसा महान-पुरुष होता है ...जो एक साधक को "अष्टांग-योग" की समस्त विधाओं का सारतः और तत्वतः अभिज्ञान करते हुए "ध्येय-वस्तु" से प्रत्यक्ष-साक्षात्कार करने में समर्थ है..!
जैसे ही "ध्येय-वस्तु" से साधक का प्रत्यक्ष-साक्षात्कार होता है....उसकी सहज-समाधि लग जाती है...!
यही "समाधी" उसको जीवन में निर्द्वंद और निर्लेप कर देती है...और संसार के सभी द्वंदों से परे होकर वह "जीवन-मुक्त" हो जाता है..!

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