MANAV DHARM

MANAV  DHARM

Monday, December 13, 2010

bhajan ganga......!


मै  कहता  हू  आँखों  देखी..तू  कहता  है  कागद  लेखी..?
मै  कहता  हू  जागत  रहियो..तू  जाता  है  सोई  रे..?
मेरा--तेरा  मानुआ  कैसे  एक  होई  रे  ??
मै  कहता  हू  निर्मोही  रहियो..तू  हो  जाता  मोही  रे  ??
मेरा--तेरा  मानुआ  कैसे  एक  होई  रे.....????

1 comment:

  1. aadhyaatmik jagaran hi vastawik dhyey hona chahiye..!
    Jab hum apni chetana me jaag jaate hai ..to hamako sab kuchh saaf--saaf najar aane lagata hai..!

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