MANAV DHARM

MANAV  DHARM

Monday, January 31, 2011

Bhajan--Ganga...!!

मैंने  नर--तन  दिया  तुमको  जिसके  लिए...
तुमने  उसको  भुलाया  तो  मै  क्या  काउ...मै  क्या  करू...??
वेद  रचना  किया  ज्ञान  के  हेतु  मै...!
मौके--मौके  पर  आकर  बताता  राहा...?
घट  में  ही  तेरे  इश्वर  इशारा  किया...!
दर--ब--दर  ढूंढ़  जीवर  गवारा  किया..
धर्मं--ग्रंथो  में  संतो  का  अनुभव  भरा...!
गीत  मजनू  के  गाये  तो  मै  क्या  करू  ..??..मैंने  नर--तन   दिया.....
बाजा  अनहद  का  बजता  तेरी  देह  में...!
तुने  घंटी  हिलाई तो  मै  क्या  करुई...??
मन--मंदिर  में  है  ज्योति  देखा  नहि..??
सर्वदा  घी  के  दिए  जलाता  राहा..??
पी  कर  मदिरा  तू  मस्त  में  पागल  राहा...
आज  अंशु  बहाए  तो  मै  क्या  करू..??  मैंने  नर--तन  दिया....
चेत  लो  मानव  अब  भी  समय  है  यहि...??
कृपासिंधु  आये  धरा--धाम  पर...!!
कृपासिंधु  है  वो  आनंद कंद  भगवान....!!
पर्दा  आँखों  पर  छाये  तो  मै  क्या  करू...?? मैंने  नर--तन  दिया ....



 

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