MANAV DHARM

MANAV  DHARM

Wednesday, January 12, 2011

Naam--Mahima....!!

नाम--सुमिरन की महिमा......

चिता है सतनाम की..और न चितवे दास..!
जो चिंता है नाम बिन..सोई काल की फास...!!

नाम लिया तिन्ह सब लिया..सकल वेद का भेद..!!
बिना नाम नरके पडा..पढता चारो वेद...

कोटि नाम संसार में ताते मुक्ति न होय..!
आदि नाम जो गुप्त जप..बुझे विरला कोय..!!

शब्द बिना सूरत अँधेरी..कहो कहा को जाय..!
द्वार न पावे शब्द का फिर--फिर भटका खाय..!!

मंगल भवन अमंगलहारी...उमा सहित जेहि जपत पुरारी...!!
सहस्र नाम सुनि शिव--बानी...जप ज़ेही शिव संग भवानी...!!

राम एक तापस तिय तारी नाम कोटि सत कुमति सुधारी...!
कहो कहा लगि नाम बड़ाई..राम न सकहि नाम गुण गई..!!

..........आदि सच..जुगादि सच..नानक है भी सच और होसी भी सच......!!

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