MANAV DHARM

MANAV  DHARM

Friday, March 11, 2011

संत न होते जगत में तो जल मरता संसार..!!!

सतयुग में "धर्म" चारो--पावो से बिलकुल सही-सलामत था..!
त्रेता में इसका एक पाँव टूट गया और.. "धर्म" तीन पावो पार टिका राहा..!
द्वापर में इसके दो पाँव टूट गए..और.."धर्म" दो पावो पार लुढ़कता राहा..!!
कलियुग में इसके तीन पाँव बिलकुल ही नहीं है..और "धर्म" एक पाँव पार लकवाग्रस्त होकर सिसक राहा है..!!!
इस एक पाँव को सही--सलामत बनाये रखने की जरुरत है..नहीं तो क़यामत दूर नहीं..!
इसलिए..वैज्ञानिकों ने दुनिया को तवाह करने के लिए अधुनातन परमाणु -तकनीक इजाद कर ली है..बम के एक ही धमाके से शारी दुनिया तवाह हो सकती है.मानव की .तीन चौथाई शक्ति इसी विनाश में लगी हुयी है.. !
ऐसे में धर्म एक लकवाग्रस्त पाँव से लगाड़ता हुआ सिसक राहा है..!
संत--महान--पुरुष शान्ति का सन्देश लिए घूम रहे....!
आग लगी आकाश में झड--झड गिरे अंगार..!संत न होते जगत में तो जल मरता संसार..!!!
संत बड़े परमार्थी..घन ज्यो बरसे आय..तपन मिटावे और की अपनी पारस लाय..!!
...तो संतो के पास जो पारस--मणि है..जो शांति का सन्देश है..वही इस विनाश से बचा सकता है..!इसीलिए..हे मानव..! उठो..!जागो.!.और अपने ह्रदय में स्थित शाश्वत-शान्ति के अनमोल खजाने को प्राप्त करो..!

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