बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा..
'खुदा कहा है..?..कैसे मिलेगा..?? क्या करता है..??
बीरबल इन प्रश्नों..के सटीक जबाब की खोज में निकल पड़े..जंगल में उनको एक घसियारा मिला..
घसियारे ने उनकी उद्विग्नता का कारण पूछ..
बीरबल ने शारी बाते बतलाई..
घसियारे ने जबाब दिया..हमें बादशाह के पास ले चले..हम सारे प्रश्नों का जबाब दे देगे..!
घसियारा दरबार में पहुचता है..बीरबल ने कहा..जहापनाह..यही महाशय.. आपके प्रश्नों के उत्तर देगे..!
बादशाह ने पहला प्रश्न किया..खुदा कहा है..?
घसियारे ने कहा..जहापनाह..एक गिलास दूध मगयिये..!
दूध लाया जाता है..घसियारे ने पूछा..इस दूध में मक्खन कहा है..?
बादशाह ने जबाब दिया..मक्खन इसमे चुपड़ा हुआ है..?
घसियारे ने कहा..जैसे दूध में मक्खन चुपड़ा हुआ है..वैसे ही..खुदा..इस सारे संसार के कण--कब में समाया हुआ है..!
बादशाह ने दूसरा सवाल किया..कैसे मिलेगा..?
घसियारे ने जबाब दिया..जैसे दुघ में से मक्खन दही बनाकर मथानी से निकालते है..वैसे ही इस मानव-जिस्म में समाये हुए प्राण रूपी आत्मा को हम साधना-रूपी मथानी से यातना-पूर्वक देख-परख और जान सकते है..! इसीलिए खुदी को बलंद करने की जरुरत है..!
बादशाह ने तीसरा प्रश्न किया..खुदा क्या करता है..?
घसियारे ने जबाब दिया..जहापनाह..! इसके लिए आपको मेरी एक बात मनानी पड़ेगी..! आपको अपने सिंघासन से निचे उतरना पड़ेगा..!
सबको ताज्जुब हुआ..बादशाह नीचे उतरते है..! चटपट घसियारा सिंहासन पार जा बैठता है..!
लोग चकित रह जाते है..घसियारा बोलता है..जहापनाह..आपके तीसरे सवाल का जबाब यह रहा..! जब बादशाह की समझ में नहि आया तो..घसियारा खुद बताता है..खुदा यही तो करता है..वह राजा को रंक और रंक को राजा बना देता है..वह एक सर्व--शक्तिमान सर्व-व्यापक..सर्वज्ञ सर्व-हितकारी..सनातन--शक्ति है..!
बादशाह अकबर घसियारे की चतुराई पार बहुत प्रसन्न हुए..!!
भव यह है की..इतना अधिक पढ़--लिख जाने के बाद भी लोगो को सत्य का ज्ञान नहि होता है..जो एक अनपढ़..गवार घसियारे को था..!
इसीलिए कबीर साहेब कहते है...
"पोथा पढ़--पढ़ जग मरा..पंडित भया न कोय..!
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय..!!"
..यही जानने की बात है..को यह " ढाई - आक्षर क्या है..??
ज्ञानी--संत-पुरुष इसी का उपदेश करते है..और एक अज्ञानी को सर्वज्ञ बना देते है..!
'खुदा कहा है..?..कैसे मिलेगा..?? क्या करता है..??
बीरबल इन प्रश्नों..के सटीक जबाब की खोज में निकल पड़े..जंगल में उनको एक घसियारा मिला..
घसियारे ने उनकी उद्विग्नता का कारण पूछ..
बीरबल ने शारी बाते बतलाई..
घसियारे ने जबाब दिया..हमें बादशाह के पास ले चले..हम सारे प्रश्नों का जबाब दे देगे..!
घसियारा दरबार में पहुचता है..बीरबल ने कहा..जहापनाह..यही महाशय.. आपके प्रश्नों के उत्तर देगे..!
बादशाह ने पहला प्रश्न किया..खुदा कहा है..?
घसियारे ने कहा..जहापनाह..एक गिलास दूध मगयिये..!
दूध लाया जाता है..घसियारे ने पूछा..इस दूध में मक्खन कहा है..?
बादशाह ने जबाब दिया..मक्खन इसमे चुपड़ा हुआ है..?
घसियारे ने कहा..जैसे दूध में मक्खन चुपड़ा हुआ है..वैसे ही..खुदा..इस सारे संसार के कण--कब में समाया हुआ है..!
बादशाह ने दूसरा सवाल किया..कैसे मिलेगा..?
घसियारे ने जबाब दिया..जैसे दुघ में से मक्खन दही बनाकर मथानी से निकालते है..वैसे ही इस मानव-जिस्म में समाये हुए प्राण रूपी आत्मा को हम साधना-रूपी मथानी से यातना-पूर्वक देख-परख और जान सकते है..! इसीलिए खुदी को बलंद करने की जरुरत है..!
बादशाह ने तीसरा प्रश्न किया..खुदा क्या करता है..?
घसियारे ने जबाब दिया..जहापनाह..! इसके लिए आपको मेरी एक बात मनानी पड़ेगी..! आपको अपने सिंघासन से निचे उतरना पड़ेगा..!
सबको ताज्जुब हुआ..बादशाह नीचे उतरते है..! चटपट घसियारा सिंहासन पार जा बैठता है..!
लोग चकित रह जाते है..घसियारा बोलता है..जहापनाह..आपके तीसरे सवाल का जबाब यह रहा..! जब बादशाह की समझ में नहि आया तो..घसियारा खुद बताता है..खुदा यही तो करता है..वह राजा को रंक और रंक को राजा बना देता है..वह एक सर्व--शक्तिमान सर्व-व्यापक..सर्वज्ञ सर्व-हितकारी..सनातन--शक्ति है..!
बादशाह अकबर घसियारे की चतुराई पार बहुत प्रसन्न हुए..!!
भव यह है की..इतना अधिक पढ़--लिख जाने के बाद भी लोगो को सत्य का ज्ञान नहि होता है..जो एक अनपढ़..गवार घसियारे को था..!
इसीलिए कबीर साहेब कहते है...
"पोथा पढ़--पढ़ जग मरा..पंडित भया न कोय..!
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय..!!"
..यही जानने की बात है..को यह " ढाई - आक्षर क्या है..??
ज्ञानी--संत-पुरुष इसी का उपदेश करते है..और एक अज्ञानी को सर्वज्ञ बना देते है..!
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