MANAV DHARM

MANAV  DHARM

Tuesday, March 8, 2011

जय..जय..हे.!जय..जय..हे.!.जय..जय..हे जग-जननी..माता..!

जय..जय..हे.!जय..जय..हे.!.जय..जय..हे जग-जननी..माता..!
द्वार तिहारे जो भी आता..बिन मांगे सब कुछ पा जाता...!

तू चाहे तो जीव्वन दे दे ..चाहे तो पल में जीवन ले ले ..!
जनम-मरण सब हाथ में तेरे..तू शक्ति ! हे माता..!! जय जय हे ! जग-जननी माता....!

जब-जब जिसने तुझको पुकारा..तुने दिया माँ ! बन के सहारा..!
और भूले राही को तेरा ही प्यार राह दिखाता...!! जय--जय हे कग -जननी माता..!

भक्त तुम्हारे जग से न्यारे..चरण-कमल-रज निश-दिन धारे..!
त्रिभुवन विदित तुम्हारी महिमा..माँ ! भक्ति-वर डाटा..!! जय--जय हे ..जग-जननी माता...!

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