मायामे सोये हुए मानव को उसको आत्मा में जगाकर सन्मार्ग पर चलने को प्रेरित करना ही सच्ची मानव-सेवा है..!
जैसे भूले-भटके राही को एक रहवर से संयोग-वश सही रास्ता मिल जाता है..जैसे एक जलाते हुए दीपक से सैकड़ो दीपक जल उठते है..वैसे ही..अज्ञान में सोये हुए मानव को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करने की जरुरत है..!
हे..मानव..उठो..जगाने वाला आ गया...!!
"ज्ञान" क्या है..? ज्ञेय क्या है..? ज्ञाता कौन है..??
अपने-आपलो..अपने स्थूल-पिंड में व्यापक आत्म-तत्व को जानना और उसका साधन करना ही ज्ञान है..! इसे गीता में राज-विद्या..राज-गुह्यं भी कहा गया है..!
परमात्मा के सर्व-व्यापक स्वरूप ..जिसे भू..भूर्भुवः..स्वः..कहा गया है..को जानना और उसकी तत्वतः अनुभूति प्राप्त करना ही ज्ञेय है..!
जो अपनी चेतना से चेतना में स्थित होकर ..परम-चैतन्य-स्थिति में अपनी चेतना में ही लीन होकर तद्रूपता को प्राप्त कर लेता है ...वही ज्ञानी है..!!
..ज्ञान..ज्ञान..ज्ञाता की त्रिपुटी का एकीकरण ही सदगति है..!!
ॐ श्री सदगुरु चरण कमलेभ्यो नमः....!!
जैसे भूले-भटके राही को एक रहवर से संयोग-वश सही रास्ता मिल जाता है..जैसे एक जलाते हुए दीपक से सैकड़ो दीपक जल उठते है..वैसे ही..अज्ञान में सोये हुए मानव को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करने की जरुरत है..!
हे..मानव..उठो..जगाने वाला आ गया...!!
"ज्ञान" क्या है..? ज्ञेय क्या है..? ज्ञाता कौन है..??
अपने-आपलो..अपने स्थूल-पिंड में व्यापक आत्म-तत्व को जानना और उसका साधन करना ही ज्ञान है..! इसे गीता में राज-विद्या..राज-गुह्यं भी कहा गया है..!
परमात्मा के सर्व-व्यापक स्वरूप ..जिसे भू..भूर्भुवः..स्वः..कहा गया है..को जानना और उसकी तत्वतः अनुभूति प्राप्त करना ही ज्ञेय है..!
जो अपनी चेतना से चेतना में स्थित होकर ..परम-चैतन्य-स्थिति में अपनी चेतना में ही लीन होकर तद्रूपता को प्राप्त कर लेता है ...वही ज्ञानी है..!!
..ज्ञान..ज्ञान..ज्ञाता की त्रिपुटी का एकीकरण ही सदगति है..!!
ॐ श्री सदगुरु चरण कमलेभ्यो नमः....!!
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