MANAV DHARM

MANAV  DHARM

Monday, February 21, 2011

कलियुग केवल नाम अधारा..सुमिरि-सुमिरि नर उतरहि पारा..!

कलियुग का जो दूसरा आश्चर्य भीम ने महाभारतकाल में देखा...वह..एक "तिनका " है..!
भीम ने देखा कि..एक नाम--मात्र के तिनके के स्पर्श से विशालकाय पर्वत चकनाचूर हो गया.!
श्रीकृष्ण भगवान ने हसते हुए इसकी निम्नवत व्याख्या की....
कलियुग में ऐसा ही होगा..!बड़े से बड़े दुःख और दुर्गम संसार सागर से मुक्ति इस तिनके से ही होगी..!..!
आगे भगवान कहते है...यह तिनका ही मेरा पावन--नाम है..जिसके स्मरण-मात्र से भव-सागर भी सुख जाएगा..!!
संत-शिरोमणि तुलसीदासजी कहते है..
"नाम लेत भव-सिन्धु सुखाही..करो विचार सुजन मन माही..!
आगे कहते है..


कलियुग केवल नाम अधारा..सुमिरि-सुमिरि नर उतरहि पारा..!
नहि कलिकर्मा न भगति विवेकू..राम-नाम अवलम्बन एकू..!!


...यह "नाम" ही परम-अक्षर..एकाक्षर..सतनाम..शब्द-ब्रह्म..divine-name..महामंत्र..आदि-सत्य..अमृत-नाम..इत्यादि के रूप में जाना जाता है..!

गुरुनानाक्देव्जी कहते है....

एको सुमिरो नानका..जल-थल रहे समाय..दूजा काहे सुमिरिये जो जन्मते ही मर जाय..!!
अर्थात..जल-थल में एक ही नाम समाया हुआ है..उसी का ज्ञान सदगुरुदेव्जी से प्राप्त होता है..!
इसके अलावा जो नाम है वह मुख से बोलते ही समाप्त हो जाता है..!रामचरितमानस के
बालकाण्ड.."नाम-रामायण" में संत शिरोमणि तुलसीदासजी कहते है..

' बंदौ नाम राम रघुवर को..हेतु कृसानु भानु दिनकर को..!
....
सुमिरि पवनसुत पावन नामु..अपने बस करि रखे रामू..!
...
नाम प्रभाऊ जान गणराऊ..प्रथम पुजियत नाम प्रभाऊ..!
...
नाम प्रभाऊ जान शिवानीको..कालकूट विष पीय अमी को..! !
...
महामंत्र जोई जपत महेशु..कासी मुकुट हेतु उपदेह्सू..!
...
सहस्रनाम सुनि शिव वानी..जप जेई शिव संग भवानी..!
...
मंगल भवन अमंगल हारी..उमा सहित जेई जपत पुरारी..!
इसप्रकार..यह पावन नाम ही सर्वदा-सर्वकाल में विद्यमान रहता है..यही सच्चिदानंद परमेश्वर का सर्वव्यापक नाम है..जिसका ज्ञान समय के तत्वदर्शी महान-पुरूष से प्राप्त होता है..!


No comments:

Post a Comment