भजन-गंगा में गोता लगाइए......
झीनी रे झीनी बीनी चदरिया...!
काहे को धागा और काहे को भरनी..कवन तार से बीनी चदरिया..??
इगला-पिगला तागा-भरनी....सुखमय तार से बीनी चदरिया..!
साईं को बुनत मॉस--दस लागे....ठोक--ठोक के बीनी चदरिया..!
आठ कमल--दल चरखा डोले....पांच--तत्त्व तीन--गुनी चदरिया....!!
सोई चादर सुर--नर--मुनि ओढे...ओढ़ के मैली कीन्ही चदरिया..!
ध्रुव ओढ़ी प्रहलाद ने ओढ़ी..शुकदेव पावन कीन्ही चदरिया..!!
दास कबीर जातां से ओढ़ी...जस-की-तस रख दीन्ही चदरिया....!!
.....झीनी रे झीनी बीनी चदरिया..............!!
झीनी रे झीनी बीनी चदरिया...!
काहे को धागा और काहे को भरनी..कवन तार से बीनी चदरिया..??
इगला-पिगला तागा-भरनी....सुखमय तार से बीनी चदरिया..!
साईं को बुनत मॉस--दस लागे....ठोक--ठोक के बीनी चदरिया..!
आठ कमल--दल चरखा डोले....पांच--तत्त्व तीन--गुनी चदरिया....!!
सोई चादर सुर--नर--मुनि ओढे...ओढ़ के मैली कीन्ही चदरिया..!
ध्रुव ओढ़ी प्रहलाद ने ओढ़ी..शुकदेव पावन कीन्ही चदरिया..!!
दास कबीर जातां से ओढ़ी...जस-की-तस रख दीन्ही चदरिया....!!
.....झीनी रे झीनी बीनी चदरिया..............!!
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