एकं सत्या विप्रा वहुधा बदंति...!
सत्य "एक " है..जिसे ज्ञानी..महान--पुरुषो ने भिन्न--भिन्न नामो से वर्णित किया..!
सत्य एक इसलिए है..क्योकि यह अपरिवर्तनीय है..सनातन है .. नित्य नै..शाश्वत है......!
जैसे सूरज का प्रकाश नहीं बदलता..हवा और पानी भी अपनी प्राकृत नहीं बदलते..वैसे ही एक ही सनातन तत्त्व..सृष्टि के कण--कण में ओत--प्रोत है...!
..यह एक ऐसा स्पंदन है...जो जानने में सरल और साधने में दुष्कर है..!
कोई इसे "राम " कहता है..क्योकि यह सबमे रमण करनेवाला है..तो कोई इसको "विष्णु: कहता है..क्योकि यह विश्व के अनु--अनु में व्याप्त है..तो कोई इसको "कृष्ण" कहता है..क्योकि यह सबको आकर्षित करता है..!
कोई इसको " शिव " कहता है..क्योकि यह सबका कल्याण कनेवाला है..तो कोई इसको "ॐ" कहता है..क्योकि यह संपूर्ण चराचर जगत को उत्पन्न..पालन और संहार करनेवाला है..!
कोई इसको "GOD" कहता है..क्योकि यह..GENERATOR>>OPERATOR और DESTROYER है..!
कोई इसको "खुदा" कहता है..क्योकि यह खुद (अपने) में ही है..और खुद से ही निकालता है..! कोई इसको "अल्लाह" कहता है..क्योकि यह सबका आला ..अर्थात..सर्वशक्तिमान है.. !
कोई इसको "वाहेगुरु" कहता है..क्योकि यह गुरुओ का भी गुरु है..!तो कोई इसको "चांदना" कहता है..कोई "परम-परकाश" कहता है..कोई "नूर-ए-इलाही" कहता है..
तो कोई इसे "LIGHT" कहता है..!
..यह सभी नाम एक ही सत्य..(सनातन तत्त्व ) के गुणवाचक नाम है..!
बस्तु एक है..नाम अनेक है..!
तभी तो संत तुलसीदासजी कहते है......
....सियाराममय सब जग जानी..करहु प्रणाम जोरि जुग पानी...!!
...तो हमें इस सर्वव्यापक--परमात्मा जो संपूर्ण विश्व के अनु--अनु में ओत--प्रोत है..
को समय के तत्वदर्शी महान-पुरुष के सानिध्य में आकर सच्चे नाम से जानने और उसका साधन करना चाहिए..!
सत्य "एक " है..जिसे ज्ञानी..महान--पुरुषो ने भिन्न--भिन्न नामो से वर्णित किया..!
सत्य एक इसलिए है..क्योकि यह अपरिवर्तनीय है..सनातन है .. नित्य नै..शाश्वत है......!
जैसे सूरज का प्रकाश नहीं बदलता..हवा और पानी भी अपनी प्राकृत नहीं बदलते..वैसे ही एक ही सनातन तत्त्व..सृष्टि के कण--कण में ओत--प्रोत है...!
..यह एक ऐसा स्पंदन है...जो जानने में सरल और साधने में दुष्कर है..!
कोई इसे "राम " कहता है..क्योकि यह सबमे रमण करनेवाला है..तो कोई इसको "विष्णु: कहता है..क्योकि यह विश्व के अनु--अनु में व्याप्त है..तो कोई इसको "कृष्ण" कहता है..क्योकि यह सबको आकर्षित करता है..!
कोई इसको " शिव " कहता है..क्योकि यह सबका कल्याण कनेवाला है..तो कोई इसको "ॐ" कहता है..क्योकि यह संपूर्ण चराचर जगत को उत्पन्न..पालन और संहार करनेवाला है..!
कोई इसको "GOD" कहता है..क्योकि यह..GENERATOR>>OPERATOR और DESTROYER है..!
कोई इसको "खुदा" कहता है..क्योकि यह खुद (अपने) में ही है..और खुद से ही निकालता है..! कोई इसको "अल्लाह" कहता है..क्योकि यह सबका आला ..अर्थात..सर्वशक्तिमान है.. !
कोई इसको "वाहेगुरु" कहता है..क्योकि यह गुरुओ का भी गुरु है..!तो कोई इसको "चांदना" कहता है..कोई "परम-परकाश" कहता है..कोई "नूर-ए-इलाही" कहता है..
तो कोई इसे "LIGHT" कहता है..!
..यह सभी नाम एक ही सत्य..(सनातन तत्त्व ) के गुणवाचक नाम है..!
बस्तु एक है..नाम अनेक है..!
तभी तो संत तुलसीदासजी कहते है......
....सियाराममय सब जग जानी..करहु प्रणाम जोरि जुग पानी...!!
...तो हमें इस सर्वव्यापक--परमात्मा जो संपूर्ण विश्व के अनु--अनु में ओत--प्रोत है..
को समय के तत्वदर्शी महान-पुरुष के सानिध्य में आकर सच्चे नाम से जानने और उसका साधन करना चाहिए..!
No comments:
Post a Comment