हरदम लौ कगता जा...
'अगर है शौक मिलाने का तो हरदम लौ कगता जा...
पकड़कर इश्क की झाड़ू ..सफाकर दिल के हजारे को..
दुई की धुल रख सर पे..मुसल्ले पर उडाता जा..!
न रख रोजा न मर भूखा..न जा मस्जिद न कर सिजदा..
वजू का छोड़ दे कुजा.... शराबे शौक पीता जा..!!
यह धागा तोड़ दे तस्दीक..किताबे ड़ाल पानी में..
मशायक बन के क्या करना..मशीकत को जलाता जा..!!
प्याला माय्खुदी का छोड़..प्याला बेखुदी का पी..
नशे में सैर कर प्यारे..तू-ही-तू गीत गाता जा..!!
खुदा तुम दूर मत समझो ..यही रास्ता है मस्तो का..
खुदी को दूर कर दिल से ..उसी के पास आता जा..!!
न हो मुल्ला न हो ब्रह्मण ..दुई की छोड़ दे पूजा..
हुक्म है शाह कलंदर का..तशाब्बुर को मिटाता जा..!!
कहे मंसूर काजी से ..निवाला कुफ्र का मत खा..
अनलहक नाम वराहक है..यही कलमा सुनाता जा..!!"
'अगर है शौक मिलाने का तो हरदम लौ कगता जा...
पकड़कर इश्क की झाड़ू ..सफाकर दिल के हजारे को..
दुई की धुल रख सर पे..मुसल्ले पर उडाता जा..!
न रख रोजा न मर भूखा..न जा मस्जिद न कर सिजदा..
वजू का छोड़ दे कुजा.... शराबे शौक पीता जा..!!
यह धागा तोड़ दे तस्दीक..किताबे ड़ाल पानी में..
मशायक बन के क्या करना..मशीकत को जलाता जा..!!
प्याला माय्खुदी का छोड़..प्याला बेखुदी का पी..
नशे में सैर कर प्यारे..तू-ही-तू गीत गाता जा..!!
खुदा तुम दूर मत समझो ..यही रास्ता है मस्तो का..
खुदी को दूर कर दिल से ..उसी के पास आता जा..!!
न हो मुल्ला न हो ब्रह्मण ..दुई की छोड़ दे पूजा..
हुक्म है शाह कलंदर का..तशाब्बुर को मिटाता जा..!!
कहे मंसूर काजी से ..निवाला कुफ्र का मत खा..
अनलहक नाम वराहक है..यही कलमा सुनाता जा..!!"
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