"...बिचार करने की बात है..की परमात्मा का वह कौन सा नाम है ..जो सदैव विद्यमान रहता है तथा जिसका स्पंदन जर्रे--जर्रे में विद्यमान है..! प्रत्येक बस्तु का नाम तथा स्वरूप साथ रहते है ! परमात्मा का नाम तथा स्वरूप भी एक साथ है..! वाही नाम अग्नि,,सिराज तथा चन्द्रमा का कारण है और आकाश और पृथ्वी का नियंता है..! उसी की शक्ति प्राणी--मात्र को जीवित और क्रियाशील रखती है तथा शारीर से उसके निकल जाने के पश्चात प्राणी मृत्यु को प्राप्त हो जाता है..!यह शक्ति सत..चेतन तथा आनंदस्वरूप है..ऐसे अमूल्य कोष के ह्रदय में रहते हुए हम अज्ञान के कारण शांति तथा आनंद से बंचित है..!इसलिए मनुष्य शारीर के रहते हमें इस शक्ति का बोध अवश्य प्राप्त कर लेना चाहिए..!!"---सदगुरुदेव श्री सतपाल जी महाराज ...!
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