MANAV DHARM

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Wednesday, February 23, 2011

सदैव समकालीन तीन महान विभूतिया विद्यमान रहती है....!

सदैव समकालीन तीन महान विभूतिया विद्यमान रहती है....!
एक "समय का राजा"..दूसरा "समय का वैद्य"..तीसरा.."समय का तत्वदर्शी गुरु" ..!
किसी एक राष्ट्र में समय का राजा..वहा का राष्ट्राध्यक्ष होता है..जो राज्या की प्रजा की रक्षा..उसके हित-चिंतन और जन-कल्याण के लिए उतार्दायी होता है..जैसे एक लोकतंत्र में मुख्यमंत्री..या प्रधानमंत्री..जिसके पास जाकर कोई भी अपनी फ़रियाद कर सकता है..!न कि राजा विक्रमादित्य के पास..जो कि अतीत में समां चुके है..?
किसी भी देश--काल में रोग के निदान के लिए..वैद्य भी सदैव विद्यमान रहते है..जो विभिन्न रोगों के निदान-उपचार के लिए तत्पर रहते है..जैसे मोतियाबिंद के लिए आँख के शल्य--चिकित्सक..! तो ऐसे ही शल्य चिकित्सक के पास जाकर आँख के मोतियाबिंद का ऑपरेशन सुगमता से करा सकते है.! न कि वैद्य धन्वन्तरी के पास जायेगे..जो अतीत में समां चुके है.?
इसी प्रकार कर समय और देश-काल में समय का तत्वदर्शी महान-पुरुष भी सदैव से विद्यमान रहते है..जो मनुष्य में व्यापक माया-मोह जनित विकारों और सांसारिक-दुखो की पीड़ा को आत्म-तत्त्व- ज्ञान का प्रकाश देकर उनका कल्याण कर देते है..!जैसे राम..कृष्ण..बुद्ध..महावीर..विवेकानंद..कबीर.तुलसीदास.गुरु नानकदेव..रैदास..इशामसिः..मोहम्मद पैगम्बर..इत्यादि..!
इसीलिए रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदासजी कहते है...
" सबही सुलभ सब दिन सब देसा..सेवत सादर शमन कलेसा..!
अकथ अलौकिक तीरथ राऊ..देई सद्य फल पकट प्रभाऊ..!!"
प्रथम दो विभूतियों को तो आज का मनुष्य आसानी से तलाश केता है..लेकिन..समय के तत्वदर्शी महान-पुरुष की तलाश करना आसन नहीं है..!जैसे कबीर को रामानंद जी मिले..विवेकानंद को रामकृष्ण परमहंस जी मिले..श्री हंस्जी महाराज को स्वामी स्वरुपनान्दजी मिले...वैसे ही..जब हम ऐसे महान-पुरुषो की तलाश में निकलेगे..तो निश्चय ही हमें इनका सानिध्य प्राप्त होगा..और हम फिर पीछे मुड़कर नहीं देखेगे..आगे ही आगे बढ़ते चले जायेगे..!
इसीलिए कहा गया कि.." उत्तिष्ठ..जाग्रत..प्रप्यावरान्निवोद्हत.."..कि हे मानव..! उठो..जागो..और अपने लक्ष्य की प्राप्ति करो..!

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